आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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अंत ने मन भिगो दिया, बहुत प्यारी और भावपूर्ण रचना विषय पर| बहुत बहुत बधाई
दिवास्वप्न
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‘‘अब हमारी आन्तरिक सुरक्षा संतोषप्रद हो सकेगी, गुंडे, चोर, उचक्के अब अपराध करने से पहले सौ बार सोचेंगे‘‘
‘‘ क्यों? ऐंसा क्या हो गया जो अभी तक नहीं था?‘‘
‘‘ अरे! तुमने पढ़ा नहीं? न्यूज पेपर में छपा है कि अब पुलिस ने अपने विभाग से भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिये कमर कस ली है ‘‘
‘‘ असंभव‘‘
‘‘ देखो! पेपर में, मंत्रीजी ने डीजीपी के माध्यम से सभी जोन्स के आइजी और डीआइजी स्तर के अधिकारियों से सर्वेक्षण करा कर यह पता लगा लिया है कि पुलिस विभाग में किस किस प्रकार के कामों से किन किन क्षेत्रों में भ्रष्टाचार होता है। उनका कहना है कि अब वे इन पर सख्ती से लगाम कसेंगे ताकि पुलिस में भृष्टाचार जड़ से समाप्त हो जाये‘‘
‘‘ हः हः हः हः!‘‘
‘‘ अरे! तुम हॅंस रहे हो?‘‘
‘‘ हॅंसने की तो बात ही है। अरे! डीजीपी या आइजी स्तर पर पहुंचने के पहले क्या ये सज्जन फील्ड में बिलकुल नहीं रहे जो उन्हें यह पता ही नहीं है कि पुलिस भृष्टाचार करने के लिये कहाॅ कहाॅं और क्या क्या हथकंडे अपनाती है ?‘‘
‘‘क्यों नहीं, ये सभी लोग छोटे बड़े सभी पदों पर अनेक स्थानों पर काम कर चुके होेते हैं, उसके बाद ही पदोन्नत होकर इन पदों पर पहुंचते हैं‘‘
‘‘ तो तुम व्यर्थ ही सपने देख रहे हो।‘‘
‘‘क्या मतलब?‘‘
‘‘ अरे! कोई अपनी विरासत को इस तरह नष्ट कर सकता है? इसका तो स्पष्ट संदेश यह है कि सर्वेक्षण में चिन्हित किये गये क्षेत्रों से प्राप्त होने वाला मंत्री का शेयर या तो कम है या पहुंच नहीं रहा है । ज्योंही उसे बढ़ाते हुए पहुंचा दिया जायेगा सब कुछ यथावत हो जायेगा, समझे?"
मौलिक और अप्रकाशित
यही विरासत तो बांटी जा रही है आजकल. सुदर व सार्थक लघुकथा. बधाई आप को सुकुल जी .
कथा पर अपनी भावनात्मक टिप्पणी देते हुए अनुमोदन करने के लिए धन्यवाद , आदरणीया कान्ता जी।
//सर्वेक्षण में चिन्हित किये गये क्षेत्रों से प्राप्त होने वाला मंत्री का शेयर या तो कम है या पहुंच नहीं रहा है ।//
यह है असली कहानी, वाह वाह !! सुन्दर लघुकथा हुई है आ० डॉ टी आर सुकुल जी, हार्दिक बधाई निवेदित हैI
कथा पर प्रशंसायुक्त टिप्पणी करने के लिए आभार , आदरणीय योगराज प्रभाकरजी।
सबका अपना हिस्सा और उस हिस्से का उत्तराधिकार ..और उसी के इर्द गिर्द घूमती राजनीती ..सुन्दर कथानाक बुना है आपने और सफल निर्वहन भी हुआ है हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय
कथा पर अपना अनुमोदन देने के लिए धन्यवाद , आदरणीया प्रतिभा जी।
आदरणीय डॉ. टी. आर. शुक्ल जी, आपने कमाल की लघुकथा लिखी है. अद्भुत. इस लघुकथा की जान है यह वाक्य-//सर्वेक्षण में चिन्हित किये गये क्षेत्रों से प्राप्त होने वाला मंत्री का शेयर या तो कम है या पहुंच नहीं रहा है । ज्योंही उसे बढ़ाते हुए पहुंचा दिया जायेगा सब कुछ यथावत हो जायेगा, समझे?// आपने जिस चातुर्य से पात्रों के बहाने व्यवस्था की पोल खोली है, पढ़कर चमत्कृत हूँ. और दूसरी बात विरासत को परिभाषित करती इन पंक्तियों ने तो दिल जीत लिया -// अरे! कोई अपनी विरासत को इस तरह नष्ट कर सकता है? //- मुद्दे को गज़ब पकड़ा है आपने. इस शानदार लघुकथा पर दिल से बधाई स्वीकारें. सादर
कथा पर अपनी विस्तृत टीप से प्रसन्नता और अनुमोदन देने के लिए आभार , आदरणीय मिथिलेशजी।
हार्दिक धन्यवाद आपका
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