आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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हार्दिक धन्यवाद आपका
लघुकथा ---जायदाद ( विरासत )
मोहसिन के अब्बा के इंतक़ाल का आज तीसरा दिन हैI तीजे की फातहा हो चुकी है, सब रिश्तेदार घर पर मौजूद हैं । ख़ामोशी के माहौल को ख़त्म करते हुए अचानक वकील अनवर जो पड़ोस में रहते हैं, घर आकर एक खत मोहसिन को देते हुए कहते हैं कि आपके वालिद साहिब ने इंतक़ाल से एक महीने पहले मुझसे यह खत लिखवाकर कहा था कि इसे मेरे मरने के बाद सिर्फ मोहसिन को देना। मोहसिन वापस खत अनवर को देकर कहता है कि आप ही इसे पढ़कर सुना दीजिये। अनवर ने खत पढ़ते हुए कहा:
"बेटा मोहसिन तुम मेरे सबसे होनहार ,लायक़ और नेकदिल इंसान हो! तुमने ज़िन्दगी भर मेरी और अपनी मरहूम माँ की खिदमत की, तुमने ही तीन बेटों में पढ़ लिख कर खानदान का नाम रोशन किया। मैं जो कहना चाहता हूँ उसकी वसीयत भी कर सकता हूँ मगर मैं यह अख्तियार तुम को देता हूँI तुम्हारे दोनों भाई किसी लायक़ नहीं, बहन के घरेलू हालात अच्छे नहींI मेरे मरने के बाद तुम सारी जायदाद शरीयत के मुताबिक़ अपने भाई और बहन में बाँट देना खुदा तुम्हें इसका बेहतर सिला देगा, मेरी दुआएं हमेशा तुम्हारे साथ थीं, हैं और रहेंगी।"
खत सुनते ही मोहसिन की आँखें ख़ुशी के आंसुओं से भर गयीं उसने दोनों भाई और बहन को गले से लगा लिया और मन ही मन सोचने लगा कि मैं कितना खुशनसीब हूँ जो वालिद साहिब ने अपनी विरासत की सबसे कीमती चीज़ अपनी दुआएं मुझे अता फरमाई हैंI
(मौलिक व अप्रकाशित )
मोहतरमा कांता साहिबा , आपको लघु कथा पसंद आयी ,लिखना सार्थक हुआ , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---
विरासत में अगर बुजुर्गों की दुआएँ हासिल हो जाएँ तो और क्या चाहिये? एक सार्थक सन्देश देती हुई लघुकथा हेतु मेरी दिली बधाई स्वीकार करें आ० तसदीक़ अहमद खान साहिबI
मोहतरम जनाब योगराज साहिब , आपकी पारसी नज़र में लघु कथा पास हो गयी , मेरा लिखना सार्थक हुआ , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी --
बड़ों की दुआएं ही दुनिया की सबसे बड़ी विरासत हैं ,,,प्रदत्त विषय को सार्थक करती सुन्दर लघु कथा हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय तस्दीक जी
मोहतरमा प्रतिभा साहिबा , आपको लघु कथा पसंद आयी , मेरा लिखना सार्थक हुआ , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी --
मोहतरमा नीता साहिबा , आपको लघु कथा पसंद आयी , मेरा लिखना सार्थक हुआ , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी --
आदरणीय तस्दीक अहमद ख़ान जी, वाकई अगर विरासत में बड़ों की दुआएं मिल जाएँ, तो इससे बड़ा धन और क्या होगा. आपने प्रदत्त विषय पर बहुत अच्छी लघुकथा लिखी है. इस सफल लघुकथा हेतु आपको बहुत बहुत बधाई. सादर
मोहतरम जनाब मिथिलेश साहिब , आपको लघु कथा पसंद आयी , मेरा लिखना सार्थक हुआ , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी --
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