हे राधा प्रियस्वामिनि, तेरी किरपा किरण दामिनि
मोह तम को हरे, कृतकृत्य करे, माता आपके पावन चरण।
श्री राधे की बोले जो जय, उसको भव का नहीं होता भय।
उससे यम भी डरे, भवसागर तरे, जिसपे हो जाती मां तू सदय।।
निर्भय रहता वो जग में सदा, और होता है जब वो विदा,
कर्मबन्ध कटे, प्रारब्धमिटे, उत्सव हो जाता उसका मरण।। हे राधा...
प्रपंचों से घिरा मैं रहा, और जाता नहीं अब सहा।
नहीं शुभ हैं करम, गहरा है भरम, तुम बिन मेरा है ठौर कहां।
श्रीचरणों की देओ भक्ति, यही जीवन की अब हो गति,
रमता मैं रहूं, समता में रहूं, मां तू ही है तारण तरण।। हे राधा...
मायापति की माया हो तुम, पर मेरी तो माता हो तुम।
हो जाता सनाथ, जिसके सर तेरा हाथ, बड़ी करुणा वाली मां हो तुम ।।
मैं पूत कपूत तो क्याऽऽ, मां करती सदा ही दयाऽऽ,
जग से हारा हूं मां, दे सहारा तू मां, मुझको रखना तुम अपनी शरण।।
हे राधा प्रियस्वामिनि, तेरी किरपा किरण दामिनि
मोह तम को हरे, कृतकृत्य करे, माता आपके पावन चरण।
हे राधा प्रियस्वामिनि... हे राधा प्रियस्वामिनि...
राधे राधे राधे, जय जय जय श्रीराधे।
राधे राधे राधे, जय जय जय श्रीराधे।
-मौलिक व अप्रकाशित
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प्रणाम, और आभार. कई दिनों बाद पृष्ठ पर आया, आपका प्रोत्साहन देखा. धन्यवाद.
सुंदर रचना | हार्दिक बधाई आदरणीय
राधाष्टमी की बधाई, अवलोकन व प्रशंसा हेतु आभार. कभी कभार ही पृष्ठ पर आ पाता हूँ, सभी को प्रोत्साहन हेतु आभार. ये रचना एक गीत 'ए मालिक तेरे बन्दे हम' का आधार ले कर की थी. ऐसी ही एक रचना 'चंदा मामा दूर के' का आधार ले कर प्रस्तुत करने जा रहा हूँ.
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