आदरणीय साथिओ,
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आह और वाह ------- दोनों एक साथ . सादर .
बहुत ही जानदार लघुकथा लिखी है आपने आदरणीय तेजवीर जी। सच तो यह कि तस्वीर का दूसरा रुख़ अक्सर कड़वा ही होता है। मेरी तरफ से दिली बधाइयाँ स्वीकार कीजिए।
हार्दिक आभार आदरणीय Mahendra kumar ji
हार्दिक आभार आदरणीय Janki ji
बहुत ही तीक्ष्ण कथा है आपकी आदरणीय तेजवीर भाई जी । दूसरा रूख बहुत स्पष्टता से उभर कर सामने आया है। सादर बधाई ।
भौतिक सुख से परे भी कोई सुख होता है, यह बहुत कम लोग जान पाते हैं| तस्वीर का ये पहलु जिसने समझ लिया, उसके लिए जीवन आसान हो जाता है, बहुत बहुत बधाई आपको
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