आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार सत्तरवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
17 फ़रवरी 2017 दिन शुक्रवार से 18 फ़रवरी 2017 दिन शनिवार तक
इस बार उल्लाला छन्द के साथ पुनः रोला छन्द को रखा गया है. -
उल्लाला छन्द, रोला छन्द
यह जानना रोचक होगा, रोला छन्द दोहा छन्द के कितने निकट और कितने दूर है !
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.
इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है.
प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
उल्लाला छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
रोला छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
[प्रस्तुत चित्र भाई गणेश जी बाग़ी के मार्फ़त अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 17 फ़रवरी 2017 दिन शुक्रवार से 18 फ़रवरी 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...
विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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Replies are closed for this discussion.
प्रिय भाई गिरिराज
कोई करे उपाय , खबर माँ तक भिजवाये
देखूँ जब उस ओर, भूख भी बढ़ती जाये
वो ही है खुशहाल , साथ माँ रहती जिसके
बिन माँ के अरमान , सभी रह जाये पिस के ........ बहुत सुंदर
सब कुछ विस्तार से कह दिया इस रोला छंद में। चित्र में वह शिशु ही केन्द्रीय पात्र है और इस छंद में उसे प्रमुखता से स्थान देकर चित्र के साथ पूरा न्याय किया है। मेरी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर
आदरणीय बड़े भाई , रचना की सराहना के लिये आपका हृदय से आभार ।
आदरणीय गिरीराज जी बालक की मनोदशा का सुंदर चित्रण प्रस्तुति के माध्यम से हुआ है. बहुत बहुत बधाई आदरणीय
आदरणीय सत्य नारायण भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।
अरे ! मेमना दूध, सभी तू पी मत जाना
लगी मुझे भी भूख, यार का साथ निभाना
वरना तेरे साथ , नहीं खेलूँगा कल से
भूख लगे तो, भूख, बुझाऊँ चाहे जल से .... बहुत सुन्दर ... बकरी को देख भूखे बच्चे की मनोदशा को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं आपने ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय गिरिराज जी
आदरणीया प्रतिभाजी . उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय गिरिराज सर, प्रदत्त चित्र पर क्या खूब रोला छंद लिखा है आपने. वाह. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
आदरणीय मिथिलेश भाई , छंद रचना की सराहना के लिये हृदय से आभार आपका ।
आ. मो. आरिफ भाई , रचना की सराहना कर उत्साह वर्धन करने केलिये आपका आभारी हूँ ।
आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।
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