आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडिवाला जी
आदरणीया प्रतिभा जी इस रचना से उठे प्रश्न कब तक अनुत्तरित रहेंगे ..समाज की घिनोनी मानसिकता कब बदलेगी ..दिल से संबाद करने वाली इस शसक्त रचना के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्र जी
हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी
हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी
एक बेहद संवेदनशील विषय को बहुत सहज तरीके से पेश किया है आपने, और झूलों को केंद्र बनाकर बचपन को भी बखूबी दर्शाया है आपने इस रचना में| पता नहीं कब ऐसे प्रश्नों के जवाब मिलेंगे, बहुत बहुत बधाई इस सार्थक रचना के लिए
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