आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार भाई उस्मानी जीI "बात करने की", "बात कहने की", "बात लिखने की", "बात बोलने की" - संवाद में इनका अर्थ एक ही होगा, बहरहाल जो लड़की उसे सरेआम घेर रही है, सम्भव है कि उसने संदेश पर भी क्लास लगाई हो या इगनोर ही कर दिया होI उसका विवरण देने मुझे आवश्यक नहीं लगाI
हार्दिक आभार आ० नीता कसार जी.
आदरणीय योगराज भाईजी
वाह ! रजत जयंती कथा का शुभारम्भ इससे बेहतर नहीं हो सकता। सत्यार्थीजी के अंतिम वाक्य ने सचमुच चौंका दिया। एक तरह से अपनी पत्नी पर इल्जाम लगाकर उसने अपने स्वयं का अपराध कम करने का प्रयास किया है। कनिका भी चौंक गई होगी गुरु माँ के लिए कहे गए शब्दों से। हृदय से बधाई इस झकझोरती लघु कथा के लिए।
मुझे से ऐसे बात [ टंकण त्रुटि] ... मुझसे ऐसी बात
उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार आ० अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जीI
"मुझे से ऐसे बात" में टंकण त्रुटि नहीं है, क्योंकि यह संवाद है जो पात्र पर निर्भर करता हैI
आदरणीय गुरुदेव, सर्वप्रथम तो लघुकथा गोष्ठी रजत जयंती अंक का धमाकेदार उदघाटन हेतु आपको बहुत बहुत बधाई. कथा एक साथ कई तह खोल कर रख दी. थोथी सफलता को प्राप्त करने हेतु साहित्यकारों का हद से गुजर जाना आज आम घटना हो गयी है. खुलेपन को available समझने की भूल करना कितना भारी पड़ा साथ ही सभी को एक चश्मे से देखने की नादानी. वोह.
क्या खुबसूरत लघुकथा हुई है, बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें आदरणीय.
ओबीओ सर्वेसर्वा आ० गणेश बागी जी, लघुकथा आपको पसंद आई यह जानकार बेहद प्रसन्नता हुईI आपकी इस मुक्तकंठ प्रशंसा हेतु दिल से आभार व्यक्त करता हूँI
लघु कथा के रजत जयंती अंक की ओबीओ मंच परिवार को बहुत बहुत बधाई |
इस अंक का शुभारम्भ भी लघु कथाकार के सिद्ध-हस्त हांथो से हुआ है | लघु कथा संवेदनशील सामाजिक सरोकार से जुडी है | खुले स्वभाव की स्वच्छन्द युवतियां समाज में मान सम्मान से रह सके | कनिका के समयोचित जवाब का शालीनता की सीमा लांघ चुके सत्यार्थी के पास जवाब नहीं था और शर्म से गदा जा रहा था | आँख नहीं मिला पा रहा था | कामुक व्यक्ति को आइना दिखाती अति सुंदर लघु कथा के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय |
आपकी इस ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुकरगुज़ार हूँ मोहतरम जनाब समर कबीर साहिबI
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