आदरणीय साथिओ,
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आदरणीया प्रतिभाजी
रिश्तों में आपसी प्रेम और व्यवहार का सुंदर चित्रण है दोनों लघु कथाओं में और कुछ मार्मिक भी हैं। ह्रदय से बधाई इस प्रस्तुति के लिए।
हार्दिक आभार आदरणीय अखिलेश जी
आपकी पहली कथा पति पत्नी के प्यार को दर्शा रही है , कई बार सपने अधूरे रह जाते है जो कहीं न कहीं टीस देते है पर ऐसे समय में दोनों में अपनेपन गर महसूस होने लगे तो बहुत कुछ संभल जाता है रिश्ता | बेहद सहज तरीके से लिखी हुई आपकी यह कथा वाकई अपना असर छोड़ रही है जिसके लिए बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रतिभा दी |
दूसरी कथा का विषय अलग है बेहद पसंद आया | कथा बहुत बढ़िया है | बधाई स्वीकारें |
हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी
दोनों लघुकथाए अति सुंदर बनी है आदरणीया प्रतिभा पण्डे जी | जहां प्रथम लघुकथा में पति-पत्नी के आत्मीय रिश्ते में जो संवेदनाएं एक दुसरे की भावनाओं के समझे तो संतोष और आत्मानुभूति होती है | दूसरी लघुकथा सामयिक महत्व को दर्शा रही है | कोई फौजी ये नहीं चाहेगा कि दुश्मन से लड़ते मरने के बजाय किसी के पत्थर से घायल हो मर जाय | बहुत बहुत बधाई
हार्दिक आभार आदरणीय
आदरणीय प्रतिभा जी दोनाें प्रस्तुतियां एक से बढ़कर एक हैं । प्रथम प्रस्तुति एकदम यथार्थ रचना है तो दूसरी का अपना अलग ही फ्लेवर है । /संभाल लेना यार I यह शब्द सीधे दिल में उतर गया। हार्दिक शुभकानाएं स्वीकार करें
हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पांडे जी।आपकी दोनों लघुकथायें बहुत प्रभावशाली हैं।पहली लघुकथा मध्यवर्गीय परिवार की हल्की फ़ुल्की नौंक झौंक को आधार बनाकर बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत की है। दूसरी लघुकथा में वर्तमान की एक ज्वलंत समस्या को केंद्र बनाकर बहुत ही सुंदर रचना को अंज़ाम दिया है।
हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी
हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी
कमाल प्रतिभा जी। आपकी लेखनी को नमन । आपकी दोनों रचनाएं पढ़ कर शिवानी और शरत चंद्र चटर्जी दोनों ही मिलने चले आए। दोनों लघुकथाओं का इतना विस्तार देख मन कहता है आप कहानी या उपन्यास और भी बढ़िया लिखती होंगी / लिख पाएंगी। मुझे नहीं लगता आपकी रचनाएं किसी समीक्षा की मोहताज हैं। //पता ही नहीं पड़ा// शायद कोई आंचलिक भाषा का प्रयोग है , मैं इसे लिखता //पता ही नहीं चला // इसी कथा में आप द्वारा प्रयुक्त // गूंधने// शब्द तथा // तीर्थ घुमाएगी, // पर भी अटक गया हूं। दूसरी कथा में //पता पड़ गया तो// और // बाउजी// को भी आप संभाल लेना प्रतिभा जी।
हौसलाफजाई के लिए हार्दिक आभार आदरणीय प्रदीप जी ..जिन शब्दों की तरफ आपका इंगित है ..बोलचाल में वो प्रयुक्त होते रहते हैं पता पड़ना /पता चलना ,, गूंधना /;गूंथना , तीर्थ घुमाएगी //, यहाँ पर ट्रेन की बात हो रही है
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