आदरणीय साथिओ,
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"पूरे चांद से लोगों के दिमाग का अंधेरा नही जाएगा" आदरणीया अपराजिता जी, यह पंक्ति आपकी क्षमता बताने के लिए पर्याप्त है, किन्तु पात्रों की अत्यधिक संख्या से यह भी स्पष्ट है कि लघुकथा के शिल्प पर अभी आपको थोड़ी सी मेहनत करने की आवश्यकता है. हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हम लोगों के पास आ. योगराज सर जैसे कुशल संपादक और ओबीओ जैसा मंच उपलब्ध है. आ. योगराज सर ने आपकी लघुकथा को सम्पादित करके सभी कमियों को बहुत अच्छे से स्पष्ट किया है. आप उस पर मनन कीजिए. मेरी तरफ से हार्दिक बधाई प्रेषित है. ढेरों शुभकामनाएँ. सादर.
हार्दिक बधाई आदरणीय अपराजिता जी। लाज़वाब लघुकथा।
आदरणीय अपरजिता जी, बेहतरीन कथानक को कमजोर शिल्प कैसे बेकार (लचर) कथा बना सकता है प्रस्तुत लघुकथा उसका एक उदाहरण है। आदरणीय प्रधान संपादक जी की टिप्पणी से पूरी तरह सहमत । सिर्फ कथा का शीर्षक चयन ही प्रस्तुत लघुकथा का साकारात्मक पहलू है। प्रस्तुत लघुकथा से निराश हूं । सादर
उम्दा कथानक राज्यवर्धन भाई ! बस // अम्मी जान अब सशंकित हो उठी // इस पंक्ति में "सशंकित" का प्रयोग बासमती चावल में कंकड़ सा महसूस हुआ | पात्र मुस्लिम है , तो इस हिसाब के कहन भी यदि उर्दू लफ्जो के इस्तेमाल से कहा जाय तो कथा और भी बढिया हो जायेगी , ऐसा मेरा मानना है |
इस लघुकथा को स्थान/पात्रों के नाम व धर्म के बगैर लिख कर देखें भाई राज्यवर्धन जीI रचना का दायरा कितना विशाल हो जाएगाI कथा पर बाक़ी बात थोड़ी देर में....
आपने बहुत अच्छा सुझाव दिया है सर. सादर.
आदरणीय उस्मानी जी ! यहाँ कंकड़ से आशय सिर्फ इतना भर है कि रचना की सरसता में यदि हल्का सा भी व्यवधान आये तो पाठक को कष्ट होता है और ऐसा एक उम्दा कथा के साथ ही हो सकता है. इसे इस उदाहरण से समझे जब सचिन बैटिंग करते थे तो दर्शक उनकी हल्की सी गलती को भी इंगित करते थे , ऐसा सिर्फ इसीलिए होता था कि वे अपने प्रिय खिलाड़ी को सम्पूर्ण देखना चाहते थे . राज्यवर्धन को मै छोटा भाई मानता हूँ इसीलिए उसकी हल्की सी चूक( जो सिर्फ मेरा निजी विचार भी हो सकता हो| हो सकता है इसे नेगलेक्ट भी किया जा सकता हो..) भी मैंने इंगित करना उचित समझा|यदि चावल(कथ्य और प्रस्तुती) बासमती हैं तो पहले सावधानी से चुन लेने में क्या हर्ज है ?
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