आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आजकल की युवा पीढ़ी खुद सचेत है लोक लिहाज रीतिरिवाजों जैसे भंवरों में नहीं फसना चाहते बेहतर है हम लोग भी इस बात को समझ लें |प्रदत्त विषय पर बहुत अच्छी लघु कथा लिखी है आद० सुकुल जी हार्दिक बधाई |
समय के साथ बदल जाने में ही समझदारी है, बढ़िया रचना प्रदत्त विषय पर, बधाई आपको
आ. डॉ. टी. आर. सुकुल जी, आपने अपनी लघुकथा में बहुत अच्छा विषय उठाया है जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई प्रेषित है. किन्तु, मुझे लगता है कि प्रश्न की शक्ल में इस अधूरा छोड़ने की जगह अगर आप इसे किसी अंजाम तक पहुँचाते तो बेहतर होता. साथ ही, शीर्षक में परिवर्तन की आवश्यकता भी मुझे प्रतीत हो रही. सादर.
नए और पुराने दोनों ही समय में भुलावे और भंवर हैं ...ज़रुरत है ऐसे मामलों में विवेक की ..न पुराना सब कुछ अच्छा है और न नया, ..बधाई आपको एक अच्छी रचना के लिए आदरणीय
लघु कथा --रिश्ता ( भंवर )
.
ठाकुर हिम्मत सिंह ने नये ज़माने के हिसाब से बेटी पूजा को बेहतर तालीम तो दिलवा दी मगर वो खानदानी रीति रिवाज़ और पुराने रूढ़िवादी विचारों के भंवर से कभी बाहर नहीं आए | वो बरामदे में बैठे बेटी के बारे में सोच ही रहे थे कि नौकर ने आकर कहा:
''पड़ोस के गाँव से ठाकुर लक्ष्मण सिंह का आदमी यह पत्र लेकर आया है "
हिम्मत सिंह ने पत्र पढ़ कर फ़ौरन पत्नि को आवाज़ देकर कहा:
"लक्ष्मण सिंह ने पूजा की शादी का जवाब माँगा है "
पत्नि आवाज़ सुनते ही बरामदे में आकर कहने लगी:
"तुम हमेशा ठाकुर खानदान के गीत गाते रहते हो ,लड़के के बारे में जानकारी ली या नहीं ?"
हिम्मत सिंह मूछ पर ताव देते हुए बोले:
"लड़का ठाकुर ख़ानदान का है ,मेरे लिए इतना काफ़ी है "
यह सुनते ही पत्नि तैश में बोलने लगी:
"मैं ने सब पता करवा लिया है ,लड़का शराब का आदी है उसके कई लड़कियों से संबंध हैं "
इतना सुनते ही हिम्मत सिंह को जैसे साँप सूंघ गया ,उनके रूढ़ि वादी विचारों का भंवर हिचकोले खाने लगा ,उन्होंने फ़ौरन पत्र के जवाब में उस आदमी को यह लिख कर दे दिया
"मुझे यह रिश्ता मंज़ूर नहीं "
(मौलिक व अप्रकाशित )
विषय को परिभाषित करने का अच्छा प्रयास हुआ है आ० तसदीक़ अहमद खान जी, जिस हेतु बधाई प्रेषित हैI
अच्छी लघुकथा हुई है किन्तु सुधार की अत्यधिक संभावना है जनाब तस्दीक अहमद खान जी, बधाई इस प्रस्तुति पर.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |