आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा जी। बेहतरीन लघुकथा ।अपने अतीत के गुणगान के समक्ष वर्तमान का दुख बहुत बौना लगने लगता है।मार्मिक एवम हृदयस्पर्शी लघुकथा।
हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी
रचना पर आपसे अनुमोदन मिला ,लेखन कर्म सफल हुआ, हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी
रचना पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी
वाह वाह आदरणीया प्रतिभा दी ,काली चाय और स्टील के गिलास के टन्न ने बहुत कुछ कह दिया | बेहतरीन कथा हुई है जिसके लिए हार्दिक बधाई आपको |
हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी
इस उत्साहवर्धन करती टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी
हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी
आ.प्रतिभा जी वाह वाह क्या गजब का कटाक्ष रिटायर्ड मास्तर की स्थिती पर और उतनी ही उम्दा अनकही पंच लाईन. आपकी रचनाएँ मुझे इसी वजह से हमेशा याद रह जाती है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकार करे
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