आदरणीय साथिओ,
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अच्छी कथा आज की पीढ़ी के भटकाव और धैर्य की कमी को दिखाती हुयी रचना
आ.नीता जी वाकई आजकल बच्चों को क्या हो गया हैं समझ से परे है,संयम नाम की कोई चिज ही नहीं बची. अच्छा कथानक उठाया आपने. बधाई
बिगड़ी पीढ़ी पर बढ़िया तंज़ कसा है आपने , आ0 नीता जी ।
बढ़िया प्रस्तुति प्रदत्त विषय पर, बधाई आपको आ
गुलाम अधिनायक
उसके हाथ में एक किताब थी, जिसका शीर्षक ‘संविधान’ था और उसके पहले पन्ने पर लिखा था कि वह इस राज्य का राजा है। यह पढने के बावजूद भी वह सालों से चुपचाप चल रहा था। उस पूरे राज्य में बहुत सारे स्वयं को राजा मानने वाले व्यक्ति भी चुपचाप चल रहे थे। किसी पुराने वीर राजा की तरह उन सभी की पीठ पर एक-एक बेताल लदा हुआ था। उस बेताल को उस राज्य के सिंहासन पर बैठने वाले सेवकों ने लादा था। ‘आश्वासन’ नाम के उस बेताल के कारण ही वे सभी चुप रहते।
वह बेताल वक्त-बेवक्त सभी से कहता था कि, “तुम लोगों को किसी बात की कमी नहीं ‘होगी’, तुम धनवान ‘बनोगे’। तुम्हें जिसने आज़ाद करवाया है वह कहता था – कभी बुरा मत कहो। इसी बात को याद रखो। यदि तुम कुछ बुरा कहोगे तो मैं, तुम्हारा स्वर्णिम भविष्य, उड़ कर चला जाऊँगा।”
बेतालों के इस शोर के बीच जिज्ञासावश उसने पहली बार हाथ में पकड़ी किताब का दूसरा पन्ना पढ़ा। उसमें लिखा था – ‘तुम्हें कहने का अधिकार है’। यह पढ़ते ही उसने आँखें तरेर कर पीछे लटके बेताल को देखा। उसकी आँखों को देखते ही आश्वासन का वह बेताल उड़ गया। उसी समय पता नहीं कहाँ से एक खाकी वर्दीधारी बाज आया और चोंच चबाते हुए उससे बोला, “साधारण व्यक्ति, तुम क्या समझते हो कि इस युग में कोई बेताल तुम्हारे बोलने का इंतज़ार करेगा?”
और बाज उसके मुंह में घुस कर उसके कंठ को काट कर खा गया। फिर एक डकार ले राष्ट्रसेवकों के राजसिंहासन की तरफ उड़ गया।
(मौलिक और अप्रकाशित)
वाह वाह वाह!! अनुपम, अप्रतिम एवं अतुलनीय लघुकथा! प्रतीकात्मक लघुकथा कैसे कही जाती है, यह रचना उसका उत्कृष्ट उदाहरण है. यकीनन ऐसी रचनाएँ आयोजन के स्तर को ऊंचाई बख्शती हैं. नाम की ही राजा आम जनता का दर्द जिस बखूबी से उभारा है, वह काबिल-ए-तारीफ है. इस विशिष्ट प्रस्तुति पर मेरी ढेरों ढेर बधाई प्रेषित है भाई चन्द्रेश कुमार छ्तलानी जी.
रचना और मुझे अपना आशीर्वाद देकर कृतार्थ करने हेतु हृदय से आभारी हूँ आदरणीय योगराज प्रभाकर जी सर|
वाह वाह अप्रतिम कथा | आदरणीय चंद्रेश भैया चारो खाने चित्त कर दिए आपने तो , बहुत ही लाजवाब कथा | हार्दिक बधाई |
रचना को पसंद करने और मेरे उत्साहवर्धन करने हेतु हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना दी|
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