For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव महा-उत्सव" अंक ८ में सम्मिलित सभी रचनाएँ

No Description

Views: 812

Reply to This

Replies to This Discussion

सारी रचनाएँ एक ही जगह पढ़ने को मिल गईं। योगराज जी का इस श्रम साध्य कार्य के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

आदरणीय प्रधान संपादक जी, ओ बी ओ के नए सदस्य जनाब इमरान खान ने कल रात्रि १०.५८   पर यह पोस्ट मुझे इ मेल पर भेजा था किन्तु किसी कारण वश यह स्पैम मेल में चला गया था और मैं देख न सका , फलस्वरूप "महा उत्सव" में शामिल न हो सका, अनुरोध है की कृपया इसे भी इस पोस्ट में शामिल कर ले |

 

ये गीत मुझको ही गुनगुनाने नहीं आते,
हाँ मुझे ही रिश्ते निभाने नहीं आते

प्यारी ज़मी को मैंने सींचा था खून से,
हर एक बीज बोया था मैंने जूनून से

इक रोज़ भी न मैं तो आराम कर सका,
इक रात भी न मैं तो सोया सुकून से

अपनाने के हर शख्स को चक्कर मेँ पड़ गया
उम्दा बड़ा नसीब था देखो बिगड़ गया

फस्ले ताल्लुक पे फूल लगे, दाने नहीं आते,
हाँ मुझे ही रिश्ते निभाने नहीं आते

अरबाबे जिगर, चलती रह पे मुझे छोड़ गये
गुल जितने हसरतों के थे सब तोड़ गये

ज़र्द सूखे हुये पत्ते सा बदन है मुझ पर
मेरा क़तरा ए लहू तक भी वो निचोड़ गये

आँखोँ मेँ नमी है धड़कन भी थमी है
हर शख्स कह रहा मुझमें ही कमी है..

मुझको दस्ते हुनर आगे फैलाने नही आते
हाँ मुझे ही रिश्ते निभाने नहीं आते

ये गीत मुझको ही गुनगुनाने नहीं आते,
हाँ मुझे ही रिश्ते निभाने नहीं आते

जनाब admin साहब मैंने कल ही OBO  ज्वाइन की है, मैं न तो कोई शायर हूँ और न ही लिखने की  बुनियादी जानकारी ही मुझे है, बस जाने कहा से ये शौक आ गया और मै कुछ तुकबंदी सजाने लगा.... मुझे कल ही इस महा उत्सव के बारे मै मेल आया था, और बहुत ही कम वक़्त था मेरे पास, अपने मेरी ये ग़ज़ल यहाँ पोस्ट करके मुझे जो ख़ुशी दी है मै अल्फाज़ मै बयां नहीं कर सकता, मुझे बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि अब ये ग़ज़ल महा उत्सव मैं शामिल हो पायेगी .. आपका तहे दिल से शुक्रिया ..

इमरान साहिब आपकी रचना वाकई खुबसूरत है, बहुत ही सुंदर ख्यालात है किन्तु यह ग़ज़ल की कैटोगरी में नहीं है, इसे नज्म कही जा सकती है, साथ में यह भी कहना है कि आप में वो प्रतिभा है जिससे आप ग़ज़ल भी कह सकते है, ग़ज़ल के लिए महत्वपूर्ण ख्यालात आप के पास है बस कुछ ग़ज़ल कि आधार जानकारी कि जरूरत है और उस जरूरत को पूरा करने हेतु OBO है | 

आप नीचे दिए लिंक पर जाकर OBO पर संचालित आदरणीय तिलक सर की ग़ज़ल की कक्षा ज्वाइन कर ले और सभी पाठों का अध्ययन कर ले | 

http://www.openbooksonline.com/group/kaksha

हार्दिक धन्यवाद् गणेश जी, मैं समझ तो रहा था के ये ग़ज़ल नहीं है लेकिन सौरभ जी ने इसे ग़ज़ल कहा तो मैंने समझा ग़ज़ल ही होगी.... धन्यवाद् अपने मेरी इस्लाह की ... बहुत दिनों से मुझे उस्ताद की ज़रुरत भी थी मगर मसरूफियत और संकोच के कारन मैं रियल लाइफ मैं ये सब न कर सका अब लगता है के अपने अरमान मैं निकल ही लूँगा मैंने ओपन बुक ज्वाइन करते ही सबसे पहले उस कक्षा को ज्वाइन किया था.. अब वहां मुझे लगता है के मैं काफी इल्म हासिल करूंगा
आदरणीय योगराज भाईसाहब, इस महती और श्रम साध्य कार्य के सफल सम्पादन के लिए पाठक-वर्ग आपका दिल से शुक्रगुज़ार है.
इमरान खान भाई को अच्छी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद.
सौरभ भाई, मेरे लिए बाईस ए मसर्रत है के आपको मेरी ग़ज़ल अच्छी लगी, बहुत शुक्रिया आपका....

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"रदीफ़ 'भी करते रहे' पर आपकी स्पष्टता महत्वपूर्ण और समझने का विषय है।  आश्वस्त हूँ कि…"
18 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"तरही मिसरे पर अच्छे अशआर हुए हैं आदरणीय नीलेश जी। मतला बहुत अच्छा है। छल -कपट से देवता व्यभिचार भी…"
21 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु भाई, अच्छे अशआर के लिए बहुत बहुत बधाई। गिरह बेहद पसंद आई और तीसरे शेर के लिए ख़ास दाद…"
30 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए बधाई लक्ष्मण भाई। अच्छी ग़ज़ल हुई है पर समय चाह रही है। आदरणीय तिलकराज जी…"
35 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़ज़ल - 2122 2122 2122 212 वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते…"
40 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे नेता मिल के भ्रष्टाचार भी करते रहे वो बहाने के लिए…"
47 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"भाई शिज्जू जी, आपकी प्रस्तुति कमाल की सोच लेकर सामने आयी है.  जैसे,  धर्म-संकट से बचाना…"
54 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज भाईजी, आपने जिस विस्तार से प्रत्येक मिसरा पर धान दिया है वह मंच की गरिमा के अनुरूप…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति पर जिस उदारता और आत्मीयता से आदरणीय तिलकराज सर ने समय दिया…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. शिज्जू भाई कवि का काम कविता करना है ..जिन ग्रंथों में यह कथा वर्णित है वे भी कविताएँ ही…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. ऋचा जी,मतले के ऊला में लाचार भी करते रहे.. ठीक नहीं है लाचार होता है , किया नहीं…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपने जिस संदर्भ में कहा है वो तो समझ गया था, मगर सामान्य परिप्रेक्ष्य में देवताओ को लिए इस शब्द से,…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service