आदरणीय साथिओ,
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"जब समझौता ही करना है तो बीबी ही कौनसी बुरी है |" समझाने का तरीका बहुत सुंदर था जिससे आदर्श लघु कथा बन गई | हार्दिक बधाई श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय जी |
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी आप को लघुकथा आदर्श लगी. जानकर प्रसन्नता हुई. शुक्रिया आप का. स्नेह बनाए रखे. यही कामना है.
ओह! क्या इस तरह की सौदे बाजी भी चलती है दूसरी शादी के लिए. मगर एक बात समझ नही आई एक के होते दूसरी शादी कि बात फ़िर पहली की तरफ़. कुछ स्पष्ट समझ नहीं पाई. सादर
आदरणीय नयना आरती कानिटकर जी, पतिपतीं में जब झगड़े हद से ज्यादा बढ़ जाते हैं तब यही होता है. उसी को इंगित करती रचना है.
वाह... रोचक लघु कथा | दुनिया को देखते हुए अपनी बीबी ही बेहतर लगी यानि अलगाव का मुख्य आरोपी पति महाशय ही था
बहुत बहुत बधाई आद० ओमप्रकाश जी
आदरनीय राजेश कुमारी जी आभार आप का , आप को मेरी लघुकथा अच्छी लगी.
आ. ओमप्रकाश जी, प्रदत्त विषय पर शानदार लघुकथा प्रस्तुत की है आपने. मुझे बेहद पसन्द आयी. मेरी तरफ़ से दिल से बधाई स्वीकार कीजिए. कुछ बिन्दु हैं जिन्हें देख लीजिएगा :
1. //'भाई शादी करनी है तो किसी न किसी लड़की के लिए''//
2. //मेरे शरीर और उस के शरीर को देखो.//
3. "केवल" की जगह दूसरे पात्र का यदि कोई और नाम होता तो बेहतर रहता.
4. टंकण त्रुटियाँ, जैसे : घुमतेघुमते = घूमते-घूमते, आदि.
5. //वह इस से कम में तो वही मान जाएगी// "इस से कम में तो वही मान जाएगी"
सादर.
आदरणीय महेंद्र कुमार जी आप ने त्रुटियों को इंगित किया. आभारी हूँ. इन त्रुटियों को संकलन आने पर सुधारने का प्रयास करूँगा. शुक्रिया आप का.
यदि तुम्हें शादी करनी है तो कहीं न कहीं समझौता करना ही पड़ेगा ?'' // देर आये दुरुस्त आये वाह बहुत बढ़िया कथा हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश जी
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आदरनीय प्रतिभा पांडे जी आभार आप का , आप को मेरी लघुकथा अच्छी लगी.
आदरणीय विनय कुमार जी आप को मेरी लघुकथा अच्छी व पभावी लगी . शुक्रिया आप का .
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