For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विधाता छंद में एक गीत

विधाता छंद वाचिक मापनी का छंद है जिसमे 14, 14 मात्राओं पर यति और दो-दो पदों की तुकांतता होती है। इसका मापनी

1222 1222 1222 1222

पड़े जब भी जरूरत तो, निभाना साथ प्रियतम रे

सुहानी हो डगर अपनी, मिले मुझको न फिर गम रे

बहे सद प्रेम की सरिता, रगों में आपके हरदम

नहाता मैं रहूँ जिसमें, मिटे सब क्लेश ऐ हमदम

बने दीपक अगर तुम जो, शलभ बनके रहूँगा मैं

मिलेगी ताप जो मुझको, वहीं जल के मरूँगा मैं

फकत इतनी इबादत है, जुड़े तन मन सघनतम रे

सुहानी हो डगर अपनी, मिले मुझको न फिर गम रे

रहों ना पास जो तुम तो, कमी लगती किसी की है

शिकायत का न दूँ अवसर, तमन्ना बस इसी की है

फँसे नैया भँवर में जब, सहज पतवार बन जाना

जलाकर दीप आशा का, मृदुल तू यार बन जाना

अपरिमित सिंधु सा रहना, सरस मन रूप हरदम रे

सुहानी हो डगर अपनी, मिले मुझको न फिर गम रे

मिले इक छाँव पलकों का, रहूँ तेरी पनाहों में

दुआ माँगू सदा रब से, मरूँ भी नाथ बाहों में

हवाएँ तेज हो कितनी, सहज चलते रहे हमदम

बहे गर वक़्त की आँधी, कभी बुझने न पाएँ हम

अलग ना कर सके कोई, रहें इतने निकटतम रे

सुहानी हो डगर अपनी, मिले मुझको न फिर गम रे

अगर तुम सामने जो हो, मरुस्थल भी लगे उपवन

मिले अहसास जो तेरा, बजे झंकार फिर तन मन

खिले सब फूल बागों के, स्वरों के भी सजे सरगम

चहक जाएं परिंदे भी, सुहावन देख कर मौसम

जले दीदार का दीपक, खुशी ना हो कभी कम रे

सुहानी हो डगर अपनी, मिले मुझको न फिर गम रे

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 2391

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2018 at 3:14pm

बहुत सुंदर रचना हुई है , आ. हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on January 29, 2018 at 12:45pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। सामान्यतयः कोई भी गीत चार पदों के ही लिखे जाते है, जिसका ही मैंने अनुपालन किया है। आप शृंगारिक किसी गीत को देखिए , उसके कितने पद होते है,?? 

आपकी प्रतिक्रिया और उत्साहवर्धन के लिए हृदय तल से आभार।सादर

Comment by Mohammed Arif on January 29, 2018 at 11:06am

आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी आदाब,

                               विधाता छंद में बंधी बहुत ही अच्छी भावाभिव्यक्ति । छंद काफी लंबा हो गया है जिसके कारण कुछ बोरियत-सी लगती है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service