आदरणीय साथिओ,
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उपाय
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ब्रह्म ज्योतिषी के आगे हाथ बढ़ाते हुए -" इन रेखाओं को देखकर बताइए आखिर ये क्या कहती है ? "
ब्रह्म ज्योतिषी ने जैसे ही उसके हाथों की रेखाओं को देखा तो उन्हें चक्कर आने लगे । कुछ देर संभलने के बाद बोले -" मैं पहली बार ऐसी रेखाओं को देखकर अभिभूत हूँ । बताने में संकोच हो रहा है ।"
" कैसा संकोच ? संकोच की कोई आवश्यकता नहीं है , खुलकर बताइए ।"
" सच सहन कर सकोगे ।"
" क्यों नहीं !"
" तो सुनो , सभी रेखाएँ भीषण संक्रमण-काल के दौर से गुजर रही है और संकट भी छाया है इन पर ।"
" कैसा संक्रमण-काल और कौन-सा संकट ?"
" पुरातन के प्रति झुकाव और आधुनिकता की अंधी दौड़ ,भयंकर परिवर्तन से डर और बेचैनी , मूल्यों और
नैतिकता का पतन । दुष्कर्म , बलात्कार , गंदी राजनीति ,आतंकवाद , नक्सलवाद , आर्थिक घोटालें इन सबकी काली छाया है ।"
" इन सबका उपाय ?"
ब्रह्म ज्योतिषी ने कतारबद्ध तस्वीरों की ओर इशारा दिया जिसमें गांधी , गौतम , कलाम , भगत , अशफ़ाक , विवेकानंद
आज़ाद कालजयी मौन रहकर भारत को उपाय सुझा रहे थे । ब्रह्म ज्योतिषी पलभर में अदृश्य हो गया ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर आधारित सुंदर कथा लिखी है व्यंग्य तीक्ष्ण है बधाई आपको आद० मोहम्मद आरिफ़ जी ।
लघुकथा पर अमूल्य समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता कसार जी ।
गोष्ठी का फीता काटने की बधाई। 'भारत' विषय को सार्थकता से परिभाषित करने का शानदार प्रयास । मेरी और से हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें । सादर
लघुकथा पर अमूल्य टिप्पणी देकर सफल बनाने का हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी ।
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,प्रदत्त विषय को परिभाषित करती बहतरीन लघुकथा लिखी है अपने,कम शब्दों में बहुत उम्दा कमाल दिखाया आपने,इस प्रस्तुति पर ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
आपकी टिप्पणी ने लघुकथा को सफल लघुकथा होने की मोहर लगा दी । दिली आभार आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।
आ. भाई आरिफ जी, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।
मुहतरम जनाब आरिफ़ साहिब आदाब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती और ज़बरदस्त संदेश देती सुंदर लघुकथा हुई है ,मज़ा आ गया ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमाएँ।
दिली आभार आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी ।
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