For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'किकी-डांस चैलेंज' (लघुकथा)

"हैल्लउ! हाउ आs..यू? कैसे हैं जनाब?"


"फाइन! रॉकिंग!".. और आप सब ! कैसा लगता है अब विदेश में?"


"क्वाइट गुड! बट बेटर देन इंडिया! कुछ एक बातें तो 'अनकॉमन और पॉज़िटिव' हैं, लेकिन हम जैसे भावुक भारतीयों के लिए अधिकतर बातें 'कॉमन और निगेटिव' ही हैं पैसे, स्वार्थों की होड़ और 'तकनीक व ग्लोबलाइज़ेशन' की दौड़ में !"


"मतलब तुम सब भी हमारी तरह विदेश में भी ज़माने के साथ नाच ही रहे हो न!"


"हां, यही कह लो! लेकिन अंतर तो है! हम यहां सेहत और सुव्यवस्था के साथ सरकार व देश के साथ सुविधाएं व ख़ुशियाँ हासिल करते हुए नाचते हैं और भारत में तुम सब 'किकी-डांस चैलेंज' वाला ज़ोखिम भरा नृत्य करते रहते हो?"


"क्या मतलब?'


"मतलब यह कि 'बग़ावत व भ्रष्टाचार के पेट्रोल' से 'तरक़्क़ी की कार' कछुए की गति में चलाकर 'मोबाइलों और मीडिया' व सीसीटीवी के कैमरों के सामने तुम लोग सरकार और देश के ख़िलाफ़  'कठपुतलियों' माफ़िक  लेेेकिन ज़ोख़िम भरेे 'किकी-डांस' से करते रहते हो, अंजाम जाने बग़ैर! बेमौत मरते हो, या मर-मर के जीते हो! बेकसूरों को फंसाते या मारते हो; या फंसवाते-मरवाते रहते हो; असुविधाओं और दुखड़ों को वायरल कर-करके, बस!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 6:03pm

टिप्पणियों द्वारा अनुमोदन और विचार साझा करने हेतु और पुनः स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरमा प्रतिभा पाण्डेय साहिबा, मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा ,  मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब , मुुुहतरमा नीता कसार साहिबा,  मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब 

Comment by Neelam Upadhyaya on August 6, 2018 at 4:57pm

 आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, सम-सामयिक विषय पर अच्छी लघुकथा  की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।  

Comment by Nita Kasar on August 6, 2018 at 2:10pm

हम भारतीय बेहद भावुक होते है।बिना सोचे समझे नये गेम को अपना लेते है।आपकी कथा में समस्या पर प्रकाश डाला गया पर समाधान होता तो कथा सार्गर्भित होती ।बेशक आप अच्छा लिखते है ।।पर यहाँ लगता है जल्दबाज़ी हो गई ।कथा के लिये बधाई आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।

Comment by Samar kabeer on August 4, 2018 at 6:11pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 4, 2018 at 11:32am

हाएदिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।वर्तमान शासन व्यवस्था को केंद्र मानकर देश विदेश के रहन सहन के माध्यम से करारा व्यंग।

Comment by pratibha pande on August 4, 2018 at 9:28am

व्यवस्था से असहमति व्यवस्था चलाने वालों से असहमति हम सबका मौलिक अधिकार है पर ये असहमति देश के प्रति असहमति क्यों बन जाती है? व्यवस्था चलाने वाले तो आते जाते रहते हैं और लगभग सब एक से ही होते हैं।  लग रहा था अंत आते तक कथा में कुछ सकारात्मक होगा पर खेद है नहीं हुआ। विदेश में सब अच्छा और हमारे यहाँ सब खराब निचोड़ ये ही निकला कथा का।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
5 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
12 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
21 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
34 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
58 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जनाब, Gajendra shotriya, आ.' 'मुसाफिर ' साहब को प्रेषित मेरा प्रत्युत्तर आप, कृपया,…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मुसाफिर' साहब मैं आप की टिप्पणी से सहमत  नहीं हूँ। मेरी ग़ज़ल के सभी शे'र …"
3 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सादर अभिवादन। मुशाइरे में सहभागिता के लिए बहुत बधाई। प्रस्तुत ग़ज़ल के लगभग…"
4 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय महेन्द्र जी। थोड़ा समय देकर  सभी शेरों को और संवारा जा सकता है। "
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। यह गजल इस बार के मिसरे पर नहीं है। आपकी तरह पहले दिन मैंने भी अपकी ही तरह…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service