आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय उस्मानी साहब, अछ्छी लघुकथा की पेशकश पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,
दोमुँहेपन को प्रदर्शित करती बेहतरीन और सशक्त लघुकथा के लिए हार्दिक बधाइयाँ ।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।बेहतरीन कटाक्षपूर्ण लघुकथा।मैनेजर की दोगली मानसिकता और भेदभाव पूर्ण नीति को उजागर करती बढ़िया प्रस्तुति।ऐसे चरित्रों से भरा पड़ा है हमारा समाज।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई,प्रदत्त विषय को पूर्ण रूप से परिभाषित करती हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
आफिस में कर्मचारी अधिकारी का व्यवहार ही उनकी साख निर्धारित करता है।एेसे दोगले लोग भी होते है जो सम्मान का समान भाव नही रखते ।उम्दा कथा के लिये बधाई आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।
दोरंगापन की हद है।उम्मीद मिर्जा जी को हो न हो,रिसेप्शन वाली को जरूर है।आदरणीय उस्मान जी,हालाते-हाल का सही चित्रण हुआ है।हाँ,उम्मीद दूर-दराज जी चीज हो गयी है,सादर।
आदाब। यह रचना तीन बार पोस्ट हो गई है। कृपया किन्हीं दो को अभी डिलीट कर दें कोई टिप्पणी आने के पहले। यह मूलतः पक्के इरादे या संकल्प पर आधारित है। उम्मीद पर केंद्रित करने के लिए मां या पिता का एक सार्थक संवाद अंत में जोड़ा जा सकता है। सादर आदरणीया कनक हरलल्का जी।
अच्छी लघुकथा है आदरणीया कनक हरलालका जी पर यदि यह व्रत के बहाने पुरुषवादी सोच पर और गहरी चोट करती तो एक बेहतर लघुकथा होती, साथ ही इससे प्रदत्त विषय भी स्पष्ट होता. बहरहाल मेरी तरफ़ से इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
प्रदात्त विषय पर अच्छी लघुकथा हुयी है आदरणीया हरलालका जी. बधाई स्वीकार करें।
हार्दिक बधाई आदरणीय कनक जी।बेहतरीन लघुकथा।
जनाब कनक जी आदाब, प्रदत्त विषय को सार्थक करती हुई अच्छी लघुकथा हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
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