ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी सदस्यों को यह बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि OBO परिवार के सक्रिय सदस्यों को सम्मानित करने का निर्णय OBO प्रबंधन द्वारा किया गया है, इसके लिये सितम्बर माह से प्रत्येक महीने के १ तारीख को सदस्य के पिछले महीने के गतिविधि को आधार मानकर OBO परिवार के किसी एक सदस्य का चुनाव "महीने का सक्रिय सदस्य" ( Active Member of the Month ) के रूप मे किया जायेगा तथा उनका छाया चित्र संक्षिप्त परिचय के साथ OBO के मुख्य पृष्ठ पर पूरे महीने के लिये लगाया जायेगा |
महीने का सक्रिय सदस्य ( Active Member of the Month ) का चुनाव करते समय OBO प्रबंधन निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेगी,
१-ब्लॉग और फोरम पर सदस्य की सक्रियता रचना / टिप्पणी के रूप में,
२-chat पर सदस्य की सक्रियता,
३-अन्य सदस्यों के साथ व्यवहार,
आशा है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के इस कदम की सराहना आप लोगो से मिलेगी, यदि कोई सुझाव हो तो अवश्य लिखेंगे |
संशोधन :-
1-ओ बी ओ प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि माह अगस्त2011 से "महीने का सक्रिय सदस्य" ( Active Member of the Month ) का छाया चित्र ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर अत्यंत संक्षिप्त परिचय के साथ लगाया जायेगा |
2-ओ बी ओ देगा "महीने के सक्रिय सदस्य" को नकद पुरस्कार :- माह जनवरी २०१२ से "महीने के सक्रिय सदस्य" (Active member of the month) को पुरस्कार स्वरूप ११०० रुपये नकद एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा. यह पुरस्कार "ग्रिक्स टेक्नोलोजीज (प्रा) लिमिटेड", मोहाली (पंजाब) द्वारा प्रायोजित किया गया है.
3-पुरस्कार राशि का बैंक ड्राफ्ट केवल भारत में भुगतेय और प्रमाण पत्र भारत के पते पर ही भेजा जायेगा |
New :- दिनांक १ जनवरी २०१४ के प्रभाव से प्रायोजक मिल जाने तक नगद पुरस्कार राशि प्रदान नहीं की जाएगी , यह पोस्ट इस हद तक संशोधित |
आप सबका अपना ही
एडमिन
OBO
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ओपन बुक्स ऑनलाइन के सक्रिय सदस्य तथा तत्कालीन जिला मुरैना के एक छोटे से कस्बे 'श्योपुर' (जो अब जिला बन चुका है) में जन्मे श्री तिलक राज कपूर जी पेशे से एक सिविल इंजिनियर है | आपकी अधिकॉंश स्कूली शिक्षा मुरैना जिले में हुई और वर्ष १९७६ में ग्वालियर से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर वर्ष 1980 से मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग में विभिन्न पदों पर सेवारत रहते हुए वर्तमान में संचालक, जल मौसम विज्ञान, मध्यप्रदेश के पद पर कार्यरत है | वर्ष 1990 में कम्प्यूटर्स से दोस्ती हुई जो बढ़ते-बढ़ते इस स्तर तक पहुँची कि पिछले दस वर्षों से सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ के रूप में आपकी पहचान स्थापित है, प्रबंधन विषयों पर भी आपका उतना ही प्रभावी नियंत्रण है | विभाग में आज आपकी पहचान मुख्य रूप से समस्याओं के हल देने वाले के रूप में होती है |
जनाब मोहसिन अली 'रतलामी' मरहूम (तत्कालीन आगर-मालवा में) के माध्यम से ग़ज़ल विषय से आपकी शुरुआती पहचान 80 के दशक में स्थापित हुई ! मुख्यत: स्वांत:-सुखाय: रचनाधर्मी बने रहे | फिर वर्ष 2009 में एकाएक पंकज सुबीर के ब्लॉग के माध्यम से ब्लॉग-जगत में आपका प्रवेश हुआ। तरही विशेष रूप से आकर्षित करती हैं और प्रयास रहता है कि हर तरही में कुछ न कुछ भेजा जाये। OBO पर आपके द्वारा चलाई जा रही ग़ज़ल की कक्षा बहुत ही पसंद की जा रही है | अभी तक अंतर्जाल पर ही ग़ज़लें प्रकाशित हुई है | अभी तक कोई प्रकाशित पुस्तक नहीं है |
आशा है कि आपका अतुल्य योगदान ब्लॉग, फोरम, चैट और टिप्पणियों के माध्यम से समस्त ओ बी ओ परिवार को यथावत मिलता रहेगा |
sashakt parichay
Bahut hee sundar, saarthak aur mahatwpurn pahal. Lekin nirnay bahut hee mushkil hoga kyunki ees site ke sabhi sadasy jitna sakriy aur jaagruk hain, utna shaayad kisi aur social web site par nahin hain.....ye achhi baat hai kyunki sabhi sadasyon ke lagataar sakriy rahne se jahaan nit-naye aalekh, kavita ityaadi logon ko padhne ko milte hain wahin sabhi sadasyon kaa aapas mein vichar-vimarsh bhi pratidin hota rahta hai. aaj ke vyastatam aur tanaawpurn zindagi mein doston ke beech vichaaron kaa adaan pradaan bhaawnatmak rup se, maansikrup se sudridhta aur swasthata ke liye atyant hee aawashyak hai.
OBN PARIWAR ke sabhi sadasyon ko unki sakriyata ke liye dhanywaad.
RAJ
Saraahneey Prayaas !!!!
नाम - सौरभ पाण्डेय
जन्मस्थान - देवघर (झारखण्ड)
पिता श्री सुरेश चन्द्र पाण्डेय जी बिहार राज्य विद्युत विभाग में उच्च पदस्थ अभियंता थे. उनके समयानुसार स्थानान्तरित होते रहने के कारण प्रारंभिक शिक्षा कई स्थानों पर सम्पन्न हुई. जिनमें मुज़फ़्फ़रपुर तथा वाराणसी के अति प्रतिष्ठित विद्यालय भी शामिल हैं. मिथिला विश्वविद्यालय से गणित से स्नातक होने के बाद निर्यात प्रबन्धन में प्रतिष्ठा प्राप्त की.
वर्ष १९८८ से राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न कॉर्पोरेट इकाइयों में पदस्थापित होने के बाद मुम्बई से आपने अपने कार्यक्षेत्र की दिशा और दशा दोनों बदल लीं. और, वर्ष १९९८ से सॉफ़्टवेयर के क्षेत्र में पदार्पण किया. कम्प्यूटर और प्रोग्रामिंग की धुन ने चेन्नै पहुँचा दिया. आवश्यक ज्ञान हासिल कर चेन्नै स्थित सॉफ़्टवेयर क्षेत्र की कई प्रतिष्ठित कम्पनियों में कार्यरत रहे. चन्नै प्रवास के दौरान ही आध्यात्मिक और वैचारिक संगठन विवेकानन्द केन्द्र, कन्याकुमारी के गहरे सम्पर्क में आए. वर्ष २००६ में टेक्निकल हेड के तौर पर हैदराबाद स्थानतरित हुए. फिलहाल वर्ष २००८ से कोलकाता की श्रेई इन्फ्रास्ट्रक्चर की महत्त्वपूर्ण इकाई श्रेई सहज में पदस्थापित हैं. इस पदभार और उत्तरदायित्त्व ने भारत सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी के अंतर्गत चलायी जा रही अति महत्त्वाकंक्षी परियोजना नेशनल ई-गवर्नेंस प्लान को जानने और सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने का अवसर दिया. इसी पदभार के क्रम में ग्राम्य विकास मंत्रालय की कई परियोजनाओं के क्रियान्वयन का भी दायित्त्व है. सम्प्रति स्किल डेवेलपमेंट विभाग में नेशनल-कोऑर्डिनेटर के पद पर कार्यरत हैं.
साहित्य के प्रति लगाव बाल्यकाल से ही हो गया था. नाना श्री पंचानन मिश्र जी हिन्दी विद्यापीठ, देवघर में अध्यापन कार्य करते थे और हिन्दी साहित्य और समाजशास्त्र के क्षेत्र में उनका विशिष्ट दखल था. नानाजी की प्रेरणा और उनका उत्साहवर्द्धन हिन्दी-साहित्य के प्रति अनुराग का कारण बना. विद्यार्थी जीवन में कई स्थापित और नामवर साहित्यकारों का सानिध्य और आशीर्वाद मिला. कविता पाठ के कारण मंचों पर खूब सराहना मिली. उसी दौर में स्थानीय दैनिक पत्रों के सौजन्य से पत्रकारिता के क्षेत्र की गहमा-गहमी को भी काफी निकटता से महसूस किया. रचनाओं को स्थानीय और राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिलता रहा. किन्तु सारा प्रयास स्वान्तःसुखाय के स्तर तक ही सीमित रहा. दक्षिण भारत में कार्मिक जीवन के कई वर्ष गुजार देने के कारण साहित्य कर्म में जो कुछ शिथिलता आ गयी थी उसे पुनः उत्प्रेरित किया अंतरजाल के माध्यम से मित्र बने आदरणीय शमशाद इलाही शम्स जी तथा आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ने. आपका अपने तईं भरपूर प्रयास रहता है कि बावजूद घोर कार्यालयी व्यस्तता के ओबीओ के मंच पर संलग्नता और साहित्यिक वातावरण से सानिध्य और जुड़ाव लगातार बना रहे ताकि साहित्य-सेवा की सात्विक इच्छा साकार रूप ले सके.
आपका मूल पैत्रिक स्थान और सम्बन्ध उत्तरप्रदेश के बलिया जनपद के द्वाबा परिक्षेत्र से है. आपके पिताजी ने सेवा निवृति के पश्चात इलाहाबाद को अपना निवास-स्थान बनाया है. तथा आपका परिवार विगत लगभग बीस वर्षों से इलाहाबाद में है. हिन्दी साहित्य-सेवा के साथ-साथ आपकी कई आध्यात्मिक संगठनों से भी निकटता तथा आत्मीयता रही है. वैचारिक रूप से स्वामी विवेकानन्द का आप पर बहुत ही अधिक प्रभाव है और उनके साहित्य ने जीवन-दर्शन के प्रति आपके नज़रिया को बहुत अधिक संतुलित एवं संयमित किया है.
धन्यवाद वन्दनाजी. :-))) ..
सौरभ सर जी ,जुलाई महीने के सक्रिय सदस्य बनाने पर अतेन्द्र की तरफ से हार्दिक बधाई.........
July maah ka sakriya sadasya chune jane par Saurabh ji ko hardik badhayee.
हार्दिक धन्यवाद नीलमजी..
सावन के पावन माह में आदरणीया शन्नोजी के नाम का सार्थक चयन हुआ है. हम उनकी संलग्नता से अभिभूत हैं.
bahut khoob
bahut he badeya paryaas hai...............thanks admin je
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