For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ शारदा का वरदान है प्यार

माँ शारदा का वरदान  है प्यार

[ श्री रामकृष्ण अस्पताल सेवाश्रम, कंखल (उत्तरखंड, भारत) से ]

ऐसी ही ...  प्रिय

लेटी रहो न मेरे घुटने पर सर टेके

भावनायों के निर्जन समुद्र तट पर आज

बहें हैं आँसू बहुत मध्य-रात्रि के अंधेरे में

कभी अनेपक्षित बह्ते कभी रुक्ते-रुकते

पहले इससे कि तुम्हारा  एक और आँसू

मेरे अस्तित्व पर टपक कर मुझको

नि:स्तब्ध, निश्चल

स्नेह-सरोवर-सदृश विभोर करे

आशीर्वाद लो, लो आशीर्वाद माँ-जननी से

कि समाई हो मेरे मन में तो मुझको यह वरदान मिले

तुम्हारे सब आँसू जो गिरे हैं आज घुटने पर मेरे

वह सब मिल कर जम कर सभी

मुझमें बस रही तुम्हारी शुद्ध आस्था का

हमारे परस्पर स्नेह की परिचित संज्ञा का

मात्र आवरण नहीं

एक और आत्मीय असाधारण

सुदृढ़ परिपूर्ण शिलास्थान बनें

जय है माँ-जननी, जय है तुम्हारी

जय माँ शारदा, जय है तुम्हारी

सर्व-व्यापी हो तुम, हो करुणामयी 

दो न मुझको वरदान अभी

कि मुझमें बस रही मेरी “प्रिय” का रहे

उच्चतम सम्मान और स्थान सदा स्थाई

जय करुणामयी माँ, कोटि जय है तुम्हारी

माँ शारदा, न “हाँ” बोलती हो, न “ना”

फिर किसी सिहरन के साथ घुल जाती हो मुझमें

जैसे घुल जाती है  “मेरी प्रिय”

                         मेरे घुटने पर सर टेके मुझमें ...

मानो “वहीं” हो “मेरी प्रिय” का सारा सलोना संसार

आँसू टपका कर “प्रिय” ने बरसाए हैं जो उदगार

लगा आज मुझको मानो सहसा

“मेरी प्रिय”, “मेरी प्यार” ... वह ही मेरी

स्नेह-जननी है

वह ही है मेरी माँ शारदा 

और उसका प्यार भव-सागर के इस पार

सच, प्रिय, प्रतीक्षातुर हूँ मैं

ऐसे में तुम माँ शारदा बनी

याद बहुत आ रही हो आज ..

              --------

--   विजय निकोर

     (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on November 28, 2018 at 12:27am

सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्र्सिहं जी

Comment by narendrasinh chauhan on November 27, 2018 at 8:33pm
खुब सुन्दर रचना ....
Comment by vijay nikore on November 27, 2018 at 8:27pm

सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय तेज वीर सिंह जी

Comment by TEJ VEER SINGH on November 26, 2018 at 8:26pm

हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोरे जी।बेहतरीन प्रस्तुति।

Comment by vijay nikore on November 25, 2018 at 7:01pm

सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय भाई लक्ष्मण जी।

Comment by vijay nikore on November 25, 2018 at 7:00pm

मान देने के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय समर भाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 25, 2018 at 3:36pm

आ. भाई विजय जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on November 19, 2018 at 2:32pm

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,भारत में आपका स्वागत है ।

हमेशा की तरह एक उत्तम और गम्भीर रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service