For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाद ए सबा

 

पूछा जो किसी ने बावरी बाद ए सबा से

उफ़्ताँ व खेज़ाँ है तू ए बावली हवा

टकराई है तू बारहा बेरहम दीवारों से

खटखटाए हैं कितने बंद दरवाज़े भी तूने

आज बता तो ज़रा तेरी मंज़िल कहाँ है ?

 

बाहोश बाद ए सबा

सनसनाई, कुछ शरमाई ... कहा ...

 

क्या शमा ने पूछा कभी परवाने से

यह कैसा उसूल है, उसलूब है कैसा

तेरी पाक उलवी उल्फ़त का अभी तक

क्या उमीद लिए जलता है इस कदर

तू उम्र भर मुझ पर रात के वीराने में

कैसी रफ़ाकत है यह, तुझे रफ़ाहियत नहीं

जानती हूँ मैं कि उल्फ़त में है रमीदगी नहीं

जा, न जल यहाँ, फ़ना होना है दिल्लगी नहीं

तू उम्र-रसीदा बन, उर्फ़ी उब्वाद बन तू

जल-जल कर इस तरह तेरे और जलने में

रुक, बता तो ज़रा, तेरी रज़ा क्या है ?

 

सवाल पर सवाल पर जवाब कहाँ

जल चुका था अब तक वह परवाना

शब ए अलम है, संगदिल है आलम

बंद हैं रोशनदान, बंद दरवाज़े सारे

थक चुकी है हवा, शबिस्ताँ कहाँ है

               --------

 

-- विजय निकोर

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

....................................................................

बाद ए सबा = पुरवा हवा

उफ़्ताँ व खेज़ाँ = गिरती-पड़ती

उर्फ़ी = मशहूर

बारहा = अक्सर

बाहोश = सचेत

रज़ा = इच्छा

उसूल = सिद्धांत

उसलूब = तरीका, ढंग

उलवी = स्वर्ग से संबंध रखने वाला

उम्र-रसीदा = लंबी उम्र वाला

रफ़ाकत = साथी होने का भाव

रफ़ाहियत = आराम, सुख

रमीदगी = बचने और हटे रहने की प्र्वृति

उब्वाद = उपासक, पुजारी

शब ए अलम = दुख की रात

शबिस्ताँ = रात को रहने का स्थान

संगदिल = कठोर-हृदय

आलम = संसार

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 16, 2019 at 3:14am

प्रिय तेज वीर सिंह जी, समर कबीर जी, महेन्द्र कुमार जी:

घर में कुछ परिस्तितियों के कारण आज बहुत समय के बाद ओ बी ओ पर आया हूँ। आप सभी ने इस रचना को मान दिया, मैं हृदयतल से आपका आभारी हूँ। विलम्ब के लिए कृप्या क्षमा करें।

आपके लिए शुभकामनाएँ लिए,

आपका मित्र

विजय निकोर

Comment by Mahendra Kumar on January 16, 2019 at 11:30am

आदरणीय विजय निकोर जी, बेहद उम्दा कविता कही है आपने. दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on January 10, 2019 at 11:48am

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,बहुत उम्दा कविता उर्दू,अरबी,फ़ारसी शब्दों को आपने बहुत सलीक़े से बरता है,और इसके कारण कविता में चार चाँद लग गए हैं,बहुत ख़ूब, वाह,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 9, 2019 at 1:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीय विजय निकोरे जी।बहुत सुंदर रचना।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
14 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
17 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
33 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service