For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कभी सदा-ए-दिल-ए-यार जो सुनी होती (३१)


कभी सदा-ए-दिल-ए-यार जो सुनी होती 
तो दास्ताँ न मेरी दर्द से भरी होती 
**
रक़ीब पर न कभी रहम गर किया होता 
मेरी ये ज़िंदगी सहरा न फिर बनी होती 
**
तुम्हारी ज़िंदगी में ग़म कभी न आते गर 
रिदा-ए-आरज़ू थोड़ी सिकुड़ गई होती 
**
गुहर हयात में तुमको नसीब हो जाते 
ज़रा सी वक़्त से तैराकी सीख ली होती 
**
ख़ला* न आज मरासिम के बीच होता  गर (*रिक्तता )
ज़मीन ज़र की तुम्हें लत नहीं पड़ी होती 
**
जहाँ मैं आज खड़ा हूँ वहाँ नहीं होता 
अगर सलाह ग़लत रहबरों ने दी होती 
**
हुनर सुख़न का अगर सीखते नहीं ख़ुद तो 
तुम्हारी दास्ताँ भी आज अनकही होती 
**
सिमटता आसमाँ शायद तुम्हारी बाहों में 
ज़रा सी पाँवों तले गर ज़मीन भी होती 
**
ख़ुदा जो नैमत-ए-उल्फ़त अता नहीं करता 
'तुरंत' ख़त्म ये दुनिया भी हो चुकी होती 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी |
"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 24, 2019 at 7:10pm
भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आपकी हौसला आफजाई के लिए दिली आभार |
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 23, 2019 at 7:59pm

आ. भाई गिरधारी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 5:19pm
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on February 21, 2019 at 5:17pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब | आदाब | आपकी   पुरखुलूस  हौसला  अफ़ज़ाई   का  दिल  से  शुक्रग़ुज़ार  हूँ .| उर्दू  /फ़ारसी  के कई शब्द  दिखाई  स्त्रीलिंग देते है लेकिन होते पुल्लिंग है | ये समस्या तो है मेरे लिए | ख़ला भी ऐसा ही है | 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 21, 2019 at 5:04pm

आदरणीय गहलोत साहब बेहतरीन गजल के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Samar kabeer on February 21, 2019 at 4:17pm

'ख़ला* न आज मरासिम के बीच होती गर'

"ख़ला" शब्द पुल्लिंग है,देखियेगा ।

Comment by Samar kabeer on February 21, 2019 at 4:15pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
18 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service