जल रही दिलों में आग हम बुझाएँ किसलिए
और सब्र बार बार आजमाएँ किसलिए
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तोड़ता सुकून-ओ-चैन की हदें अगर कोई
लोग हिन्द देश के सितम उठाएँ किसलिए
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क़त्ल जो करे यक़ीन का हबीब भी अगर
फिर यक़ीँ उसी पे आज हम दिखाएँ किसलिए
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बार बार हो चुके ग़लत वतन के फ़ैसले
फिर अदू की चाल में हम आज आएँ किसलिए
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माँगकर सुबूत शर्मसार हो रहे वही
हिन्द पर क़ज़ा की बिजलियाँ गिराएँ किसलिए
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हल नहीं निकाल जो सके हैं काश्मीर का
दास्ताँ उन्हें ग़मों की हम सुनाएँ किसलिए
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फूल फल न छाँव दे कोई जो शाख पेड़ की
खोखली हुई अगर उसे बचाएँ किसलिए
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चल रहे हैं दाँव पेच चन्द वोट के लिए
साख दाँव पर वतन की वो लगाएँ किसलिए
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ख़त्म अब करें अदू से राबिते सभी 'तुरंत '
दूध साँप को जनाब हम पिलाएँ किसलिए
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी |
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आपके स्नेहसिक्त सराहना से सराबोर उद्गारों के लिए ह्रदय तल से आभार एवम सादर नमन |
आदरणीय गहलोत साहब बहुत ही बेहतरीन गजल के लिए ढेरों बधाई
आदरणीय narendrasinh chauhan साहेब आदाब | आपकी पुरखुलूस हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रग़ुज़ार हूँ . नवाज़िश जनाब | मेरा नाम गिरधारी सिंह है गिरधारी लाल नहीं | सादर नमन |
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहेब आदाब |
आपकी पुरखुलूस हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रग़ुज़ार हूँ . नवाज़िश जनाब | मेरा नाम गिरधारी सिंह है गिरधारी लाल नहीं | सादर नमन |
आदरणीय Samar kabeer साहेब आदाब |
आपकी क़ीमती दाद मेरे लिए वाइस-ए-फ़ख्र है मोहतरम | नवाज़िश-ओ-करम का दिल से शुक्रिया |
आ. गिरधारी लाल जी, सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।
आ. गिरधारी लाल जी, अच्छी गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
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