आदरणीय साथिओ,
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वाह और आह। आपने स्त्री विमर्श हेतु समसामयिक नई विधा के शोषण और मनोवृत्ति/मनोरोग पर बहुत ही महत्वपूर्ण सृजन सफलतापूर्वक किया है। हार्दिक बधाई आदरणीया अर्चना त्रिपाठी साहिबा। मुझे यक़ीन है कि यह आपकी सर्वश्रेष्ठ लघुकथाओं में गिनी जायेगी।
लेकिन कृपया पुरुषों को परम्परागत तरीक़े से यूं मत कोसियेगा। विदेशी यौन-सुख विधाओं के चलन और स्वीकृति से आज युवतियाँँ व महिलाएं भी मज़बूर, हताश, वंचित युवकों का और रईस या रईसजादे पुरुषों/युवकों का फ्लर्ट/लव-अफ़ेअर या लिव-इनरिलेशनशिप नामक विधाओं से एच्छिक व भरपूर शोषण और दोहन कर रही हैं; गुप्त यौन-व्यवसाय या गिव-एंड-टेक पद्धति से उपलब्धियाँँ हासिल कर रहीं हैं उम्मीद है ऐसी ही लघुकथा आप पुरुष समस्याओं पर भी लिखेंगी। सादर।
बूत/बुत ; वक्ति/?/ वक्तन/बावक्त?
हार्दिक धन्यवाद आ. शेख शहजाद उस्मानी जी ,कुछ भी हो आपकी साकारात्मक प्रतिक्रिया ने मेरा मनोबल बढ़ा दिया हैं।परम्परागत तरीके में वे ही पुरुष आएंगे जिनकी मानसिकता उस हद तक गिरी हुई होगी।पुरुषों की समस्या पर भी अवश्य लिखूंगी।एक सुझाव हैं आपके लिए आप भी प्रयास कीजिये पुरुषों का प्रतिनिधित्व करने का।सादर
लिव इन के विषय पर अच्छा कथ्य चुना है आपने आद : अर्चना त्रिपाठी जी, हालांकि प्रस्तुति अच्छी हुयी है लेकिन अंत में कहे गये वाक्य // अगर ऐसा नही हैं, तब ना ही कोई श्रेया पितृविहीन होती और ना ही कोई स्त्री रखैल।" // एक कटाक्ष होते हुए भी इतने अधिक प्रभावी नहीं बन पा रहें, ऐसा मुझे लगा रहा है... बाकी वरिष्ठजन की राय की प्रतीक्षा भी रहेगी आपकी रचना पर. मेरी ओर से बधाई स्वीकार करें अर्चना जी
हार्दिक धन्यवाद आ. वीरेंद्र वीर मेहता जी , में स्वयं अंत से संतुष्ट नहीं हूँ।सुझाव दीजियेगा एवं वरिष्ठजनो की राय का सहर्ष स्वागत एवं प्रतीक्षा हैं।
मुहतरमा अर्चना त्रिपाठी जी आदाब,लघुकथा का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें,और आयोजन में अपनी सक्रियता दिखाएँ ।
आपका हार्दिक धन्यवाद आ. समीर कबीर जी ,गुणीजनों के मार्गदर्शन के लिए मैं सदैव प्रतीक्षारत रहती हूं।दरअसल निजी कारणों से लंबे समय से लेखन कार्य से दूर रही हूं। पुनः सक्रिय होने हेतु प्रयासरत हूँ।इस समय यात्रा में हुन अतः पूर्ण सक्रिय नही हो पा रही हूं।सादर
स्त्री विमर्श पर बढ़िया लघुकथा कही है आपने आदरणीया अर्चना जी. मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. कृपया गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें. सादर.
आपका हार्दिक धन्यवाद आ.महेन्द कुमार जी।सभी गुणीजनों के सुझाव गंभीरता पूर्वक ले रही हूं।
मुहतरमा अर्चना साहिबा, उम्दा लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
लिव इन रिलेशनशिप पर बहुत ही सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी ।
हार्दिक धन्यवाद आ. ओमप्रकाश क्षत्रिय जी आपका
आपकी कथा पढकर मुझे आद०योगपाज प्रभाकर जी की कही एक बात याद आ रही है ।कृपया अन्यथा ना लें।जब हम संजीदा विषय पर लिखें तो अपनी बात इशारों में कहें कथा की प्रस्तुतिके लिये बधाई आद० अर्चना त्रिपाठी जी ।
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