आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय आफिस जैदी साहब, आप ने आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी के विचारों पर अपना समर्थन दिया. मगर, कोई स्वतंत्र विचार व्यक्त नहीं किए. यदि आप स्वतंत्र विचार रख कर मेरी इस रचना को खारिज करते या इस की बुराई और अच्छाई पर अपनी बात रखते तो मुझे ज्यादा प्रसन्नता होती. तभी मुझे लगता कि मेरी रचना अच्छी है या खराब. खैर, आप ने मेरी रचना पर अपनी बात रखी. इस हेतु आप का हार्दिक आभार .
आदरणीय ओमप्रकाश जी बहुत सुंदर लगी आपकी लघुकथा और अच्छी भी सादर ।
हार्दिक आभार आदरणीय आसिफ ज़ैदी जी ।
आदाब। मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय आसिफ़ साहिब। जनाब ओमप्रकाश जी की बात पर भी ग़ौर फ़रमाइयेगा। हर रचना पर अपनी विस्तृत समीक्षात्मक सी पाठकीय टिप्पणी भी होती रहे, यही गोष्ठी में हम सभी अपेक्षा करते हैं सभी उपस्थित सहभागियों से। सादर।
नहले पे दहला की तर्ज पर रोचक कथा। हार्दिक बधाई आदरणीय ओमप्रकाश जी
आदरणीय प्रतिभा पांडे जी आपको मेरी रचना अच्छी लगी , यह जानकर अच्छा लगा। हार्दिक आभार मुझे प्रोत्साहित करने के लिए।
यह परम्परा बहुत पुरानी है और बहुत दिनों तक स्थाई भी । पुरुषों का अभिमान सपने में भी स्त्री का परपुरुष के साथ सहन नहीं कर पाता ।
सटीक कथा के लिए बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय कनक हरलालका जी आपका कहना सही है । पुरुष दोहरी मानसिकता औढे हुए रहता है। वह स्वयं जिस रास्ते पर जाता है वह नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी उसी रास्ते पर जाए । उसी को व्यक्त करती इस लघुकथा पर आप का प्रोत्साहन पाकर अच्छा लगा । हार्दिक आभार आपका।
जब जब पुरूष ने स्त्री को आज़माया तब तब स्त्री ने उनके अहं,वहम को समझदारी का जामा पहनाया है। अधिकतर दांपत्य जीवन में ऐसी नोंकझोंक चलती रहती है।शीर्षक भी उम्दा है। बधाई आद० ओमप्रकाश क्षत्रिय जी ।
आदरणीय नीता कसार दीदी जी आपने बहुत ही सही, सारगर्भित और सटीक बात कही है । स्त्रियां हमेशा अपनी शालीनता से अपने ऊपर आई आपत्ति का निराकरण इसी तरह करती है । आपकी इस प्रोत्साहन भरी टिप्पणी के लिया हार्दिक आभार आपका।
हार्दिक बधाई आदरणीय ओम प्रकाश जी।स्त्री पुरुष की मानसिकता को रोचक तरीके से विश्लेषित करती भावपूर्ण लघुकथा।
आदरनीय ओम जी, लघुकथा कमल की बात कह गई , बधाई हो
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