साथियों,
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उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय इंजी. गणेश जी "बाग़ी" साहब। दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए। पिछल्लू बहुत ग़ज़ब के हैं... हा हा हा... सादर।
बहुत बहुत आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी.
ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद पेश करता हूँ गणेश जी ,ग्रुप पे आप पहले शख्श है जिनसे बात हुई बहुत अच्छा लगा |
//ग्रुप पे आप पहले शख्श है जिनसे बात हुई बहुत अच्छा लगा//
हिन्दू धर्म के अनुसार गणेश को प्रथम देव कहा गया है और आपको उनसे ही बात हो गयी हा हा हा हा हा हा हा हा :-)))))))))
आपका बहुत आभार जनाब अनीस शेख साहब।
भाई गणेश बागी जी, यह 100 वें तरही मुशायरे का कमाल कह लें या फिर आ० समर कबीर साहिब के प्रोत्साहन का परिणाम जिसने हमारे कई पुराने "गिरधारी" शीत निद्रा से जाग उठे हैं। आपकी ग़ज़ल मुददतों बाद पढ़ी, आनंद आया। आपकी पूँछ.......... मेरा मतलब है कि ग़ज़ल के पिछलग्गू गज़ब हुए हैं। मेरी दिली बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय गुरुदेव, यह आप और समर साहब का प्रोत्साहन और आदेश ही था कि कुछ बन गया और मेरी ग़ज़ल की उपस्थिति दर्ज़ हो सकी और हुज़ूर बड़े गिरधारी तो आप ही हैं आप जो न कराएं :-))))
इस प्यार और आशीर्वाद हेतु दिल से आभारी हूँ।
भाई गणॆश जी बाग़ी, ढेर दिन प गजलियवले बाड़s .. बड़हन बधाई..
आ तवना प पुछल्ला .. सॉरी.. पिछल्लू .. कमाल के कहन .. हा हा हा हा ..
बबुआ के मामा के सुनावे के नइखे नू.. ;-)))
ओ बी ओ का हुआ असर ऐसा
शेर कहना तो आ गया है मुझे ... भाई, ई तहरे ना हमनियो के कहल्का हs.
मंच के क़ामयाबी कपारा चढ़ल उफान प बा. तरही मुशायरा के एह ऐतिहासिक घडी में तहरा से गर्वीला आ खुशकिस्मत मनई केहू नइखे.
बेर-बेर बधाई आ दिल से शुभकामना, गनेश भाई..
आजु दिल से अवाज उपटल बा.
जय-जय.. शुभ-शुभ..
"ज़बान-ए-यार मन तुर्की"
:-))))
बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ भईया, दिल खोल के दिल से टिप्पणीआये हैं. सच में बहुत दिन बाद आनंद दुबाला भईल बा. फेनु से आभार आ परनाम।
आद० बागी जी अच्छी ग़ज़ल हुई है सच में ये ओबीओ का ही असर है .और पुछल्ले तो ..हाहाहा :))))))बहुत बहुत बधाई आपको
तरही मुशाइरे की गोल्डन जुबली की मुबारकबाद अलग से .
आभार और प्रणाम आदरणीया राजेश कुमारी जी, सच तो यही है कि आज हम जो भी है अपने ओ बी ओ के कारण ही हैं. उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु पुनः आपका धन्यवाद।
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