For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 25319

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब भाई योगराज प्रभाकर साहिब आदाब, क़ुर्बान जाऊँ आपकी इस विस्तृत टिप्पणी पर जो आपने अपने मख़सूस अंदाज़ में लिखी,इस समय मेरी आँखें ख़ुशी से नम हैं और 'साहिर' की इज़्म के ये मिसरे याद आ रहे हैं :-

"मुझको इतनी महब्बत न दो दोस्तो,

मैं तो कुछ भी नहीं,

इस क़दर प्यार,इतनी बड़ी भीड़ का,

मैं रखूँगा कहाँ,

इस क़दर प्यार रखने के क़ाबिल नहीं,मेरा दिल मेरी जाँ,

मुझको इतनी महब्बत न दो दोस्तो,

कुछ बचाकर रखो,मेरे कल के लिए,

कल जो बेनाम है, कल जो अंजान है,

मुझको इतनी महब्बत न दो दोस्तो"

आपकी बेपनाह महब्बत को सलाम करता हूँ,जिसने मुझे ज़मीन से आसमान पर पहुंचा दिया,बहुत नवाज़िश,करम,शुक्रिया,मह्रबानी ।

कोई मेरे सिवा न था उसमें
खोल कर दिल दिखा गया है मुझे

आके हुजरे में एक शब कोई 
ख़ुशबुओं में बसा गया है मुझे

वाह वाह वाह । आदरणीय कबीर सर बहुत ही खूब सूरत ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बधाई । 

सादर नमन ।

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

आदरणीय समर साहब दूसरी ग़ज़ल भी जिंदाबाद हुई है पूरी ग़ज़ल उस्तादी का नमूना है, दूसरा और चौथा शेर बतौरे ख़ास पसंद आया| दाद और मुबारकबाद कबूल कीजिये|

जनाब राणा प्रताप सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।

यह ग़ज़ल भी बहुत ही उम्दा है,

शेर दर शेर भा गया है मुझे 

क्या गिरह खूब आपने बाँधी 

ये हुनर अब लुभा गया है मुझे  

मुहतरम समर कबीर साहब, आपकी ग़ज़ल हम सब के लिए एक पाठ की तरह है, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल, बहुत बहुत बधाई।

"दाद मंज़ूम आपसे पाकर

आज तो चैन आ गया है मुझे'

बहुत बहुत शुक्रिया भाई गणेश जी "बाग़ी" साहिब,आपकी महब्बत सर आँखों पर,सुख़न नवाज़ी के।लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।

आदरणीय समर भाई नमस्ते, यह ग़ज़ल भी बेमिसाल हुई है| 

ज़िन्दगी थी तो साथ ग़म भी था
अब तो आराम आ गया है मुझे

आके हुजरे में एक शब कोई 
ख़ुशबुओं में बसा गया है मुझे

वक़्त जब इम्तिहान का आया
छोड़ कर वो चला गया है मुझे

कोई मेरे सिवा न था उसमें
खोल कर दिल दिखा गया है मुझे

कहते कहते वो यार जग बीती
आप बीती सुना गया है मुझे

है ये मिसरा सभी के होटों पर
"सब्र करना तो आ गया है मुझे" बहुत खूब | 

बहुत बहुत शुक्रिया बहना आदाब ।

(दूसरा प्रयास)


'ज़िन्दगी-ट्रेक' खो गया है मुझे
'रेलवे-ट्रेक' खा गया है मुझे।


साज़िशों से डरा, मरा देखो
पर्व पर ही रुला गया है मुझे।


आश्वासन मुआवज़ा झेलूं,
सब्र करना तो आ गया है मुझे।


शोक में है वतन, दहन करके
राक्षस क्षोभ दे गया है मुझे।


रावणों से रिहा करो हमको
राहतों से सुला गया है मुझे।


(मौलिक व अप्रकाशित)

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अभी समय चाहता है,मतले और चौथे शैर में क़ाफ़िया बदल गया है,सहभागिता के लिए धन्यवाद ।

आदाब। गंभीर कमियां इंगित करने व समय देकर हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब  अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।"
12 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"2122 1122 1122 22/112 तीरगी को न कोई हक़ ही जताने देनाइन चराग़ों को हुनर अपना दिखाने देना ख़ुद से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"2122 1122 1122 22 वक़्त-ए-आख़िर ये सुकूँ रूह को पाने देना यार दीदार को आये मेरे आने देना 1 हक़ वतन का…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"दम्भ अपना भी उसे यार दिखाने देना पास बैठे वो अगर उठके न जाने देना।१। * गीत मेरे हैं भले एक न शिकवा…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"दर्द आज उनको सभी अपने मिटाने देना  मुझको ठोकर भी लगाएँ तो लगाने देना  उसके अरमानों को…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service