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एक ही सांस में बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर देती है आपकी यह रचना , सुन्दर लेखन , हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता चौबे जी ! सादर
आदरणीय बबिता जी वाकई राजनीति को एक सच्चे व अच्छे साथी की जरूरत है. जिस के सहारे वह जिन्दा रह सके. बधाई इस सुन्दर लघुकथा के लिए.
पहला पेरा ग्राफ एक टी बी सीरियल जैसा ,दूसरा अब न जाने कहाँ ले जाने वाली है बबीता जी।राजनीति के दलदल की बाखूबी प्रप्रस्तुति हेतु बधाई आदरणीय ।
अच्छी लघुकथा है आ० बबिता चौबे जी, बधाई स्वीकार करेंI
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