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आशुकवि लिंग ना धरे. .. जवन एही पर आमादा होखऽ रविभाई त ई लिखाई ग़ज़ल कहा सकेले. बाकिर एह पऽ हम ना माहिर लोग बोली. बाकिर तथ्य-कथ्य सामयिक बा. हमार एगो निहोरा पऽ ध्यान रहे त आगा फेरु अतने कहब जे कबसे कहत जात बानी. ..मुसाहिबी के असर आ तासीर बहुत गहीर होले. निभावलो जाओ.
हुज़ूर आप सबों ने ही सिर चढ़ा रखा है ..
jai ho !!
kahee pe nighaahee !!!
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