आदरणीय साथियो,
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सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शक व प्रोत्साहक टिप्पणी हेतु तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर जी।
आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी.
"देखो नानी राक्षस! बड़े-बड़े सींगो वाला, दाँतों वाला,खा जाता है!"
आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर और संदर्भगत लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।
हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी
कश्मीर के लोगों की पीड़ा नहीं है यह अपितु इस स्थिति से गुज़र रहे हर वो देश है जहाँ लगतार युध्द की स्थिति रहती है। बहुत सुंदर लघुकथा कही है आदरणीया प्रतिभा जी। बधाई स्वीकारें।
हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी
आदरणीय प्रतिभा जी, सर्वप्रथम आयोजन मे ंसहभागिता के लिए आपको बधाई।
यह राक्षस तो हम सभी को तकलीफ़ दे रहे हैं। मुझे लग रहा है कि अंत कुछ और बेहतर हो सकता है, अभी कुछ अधूरा सा लग रहा है।
हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर जी।आपको जो अधूरापन लगा उसके बारे में यही कहूँगी कि लघुकथा एक सांकेतिक विधा है और संकेत और अनकहा इसके मुख्य गुण है।
आदाब। एक बढ़िया मनोविज्ञान आधारित समसामयिक और दीर्घकालिक लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पाण्डेय जी। व्यापकता के लिए शब्दों 'कश्मीर में' की जगह 'कश्मीर और जंग वाले देशों/मुल्कों में ' किया जा सकता है मेरे विचार से।
रचना पर उपस्थिति के लिये हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी। रचना का भाव स्पष्ट है 'कश्मीरी पंडितों पर हुई दरिंदगी और उनके विस्थापन का दर्द' मनोविज्ञान और किसी व्यापक अर्थ से जोड़ने का आशय मैं समझ नहीं पा रही हूँ
मनोविज्ञान नातिन वाला बाल मनोविज्ञान और नानी व ऐसे पीड़ितों का मनोविज्ञान और मनोदशा में। रचना में 'कश्मीर में' से 'पंडित' इंगित नहीं होते, इसलिए वैश्विक आतंकवाद को समेटकर व्यापक फ़लक की लघुकथा बनाने की गुंजाइश पर ध्यान आकृष्ट कराया है आदरणीया जी। यदि रचना में कोई पात्र कश्मीरी पंडित परिवार से हैं, तो उसका संकेत स्पष्ट हो, तो बेहतर। अभी केवल कश्मीर का संकेत हो रहा है रचना में।
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