For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-122 

विषय - "अन्नदाता"

आयोजन अवधि- 12 दिसंबर 2020, दिन शनिवार से 13 दिसंबर 2020, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 12 दिसंबर 2020, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार

Views: 2307

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम 

अन्नदाता..... कविता....

माँ प्रकृति का लाड़ला बेटा है
अन्नदाता.....!
पेट भरता है,
धरती माता के अन्य पुत्रों का
किसान... मेरा देश महान !
नामक विचार- दर्शन का
बलिदानी सैनिक के साथ
दूसरा आधार स्तम्भ है....!
लालबहादुर शास्त्री ने
सच्चे धरती पुत्र ने
सबसे पहले इस सच्चाई को
पहचाना था,
'जय जवान जय किसान का....
उद्घोष कर भारत जगाया था......
सार्थकता,

सोच की स्वयंसिद्ध है......
भारतीय जवानों ने
आजादी के बाद पहली बार
पगलाये चीन को वो सबक सिखाया है
पहली वार क़मबख्त का दिमाग
ठिकाने पर आया है........!
और, अन्नदाता ने
खाद्यान्न में  आत्मिर्भर ही नहीं  बनाया
बल्कि कभी हमारे अन्नदाता रहे
अमेरिका को.....

उसकी औक़ात बता दी है.....!
पी एल 480 की व्यवस्था के अन्तर्गत
कभी आने वाला गेहूँ ,
हमारे जानवर भी अब नहीं खाते......
जय हो अन्नदाता तेरी जय हो..
मेरा विचार प्रवाह... ...
एकाएक टूट जाता है......
मेरे घर के बाहर हाहाकार मचा है
दिल्ली के चौतरफा अन्नदाता ...! 
किसान नारे लगा रहे हैं....
अगहन की कड़कड़ाती ठंड मे
तारकोल की बर्फीली सड़कों पर
रात्रि- विश्राम को विवश हैं...
कृषि - कानून बदलने होंगे
धरती हमारी माता है...!
कोटि - कोटि जनमों का नाता है
सुन मोदी तेरा क्या जाता है....
कृषि कानून बदलने होंगे...
भारतीय किसान यूनियन जिन्दाबाद
जिन्दाबाद.... जिन्दाबाद

मौलिक एवं अप्रकाशित
12-12-2020 , मध्यरात्रि

सादर नमन आदरणीय, उत्तमाभिव्यक्ति!

अन्नदाता पर सार्थक रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय।

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । प्रदत्त विषय पर अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

विषयानुकूल बेहतरीन सृजन के लिए सादर बधाई

कुण्डलिया छंद

कृषक भूलते हैं दिशा, भटकाता है कौन।

प्रश्न कई हैं सामने,उत्तर सारे मौन।।

उत्तर सारे मौन, मदारी कौन नचाता।

सुन डमरू की तान, कृषक है दौड़ा आता।।

 मुद्दा आया हाथ, आज वो बड़ा फूलते।

उनकी बनकर गोट, स्वयं को कृषक भूलते।।

मौलिक व अप्रकाशित

सादर नमन आदरणीया प्रतिभा दीदी, उत्तम कुण्डलिया हुई है। रोला छंद का चरणान्त 12 से हो सकता है?

हार्दिक आभार आदरणीय सतविन्दर भाई।मात्राएँ तो 13 ही होती हैं नियमानुसार। मात्रा गणना में क्या भूल हुई कृपया इंगित कर दें।

दीदी मात्राएं तो ठीक हैं, रोला छंद के सम चरण समकल (द्विकल, चौकलआदि) से समाप्त होते हैं, यही पढ़ा है हमने। चूँकि कुण्डलिया छंद में पहला भाग दोहा तो दूसरा रोला छंद है। इसलिए इसका अंत रोला छंद का भी अंतिम चरण है, इसलिए मैनें जिज्ञासा व्यक्त की।

सही कह रहे हैं आप। संशोधन किया है, देखिये। त्रुटी की ओर ध्यान दिलाने के लिये आभार।

भूले हैं वो क्यों दिशा, भटकाता है कौन।

प्रश्न कई हैं सामने,उत्तर सारे मौन।।

उत्तर सारे मौन, मदारी कौन नचाता।

सुन डमरू की तान, कृषक है दौड़ा आता।।

 मुद्दा आया हाथ, आज वो कैसे फूले।

उनकी बनकर गोट,कृषक क्यों खुद को भूले।।

आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।अच्छी कुंडली हुई है । हार्दिक बधाई ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
8 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service