आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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ये हीरा माँ है कौन नीता जी? और वह अन्नू से बिछड़ी क्यों और कैसे?
ममता का कोई मोल नहीं होता इसी बात को चित्रित करती सुन्दर लघु कथा हुई अर्चना जी की बात का अनुमोदन करती हूँ -जिसकी वह जन्मदात्री हैं वो ममत्व का मोल पैसे से लगा रहा हैं और जिसे पाला हैं उसे बेजान तस्वीर में भी ममता का सागर दीखता हैं।
बहुत बहुत हार्दिक बधाई आ० नीता कसार जी
आ.नीता जी "जिसकी वह जन्मदात्री हैं वो ममत्व का मोल पैसे से लगा रहा हैं और जिसे पाला हैं उसे बेजान तस्वीर में भी ममता का सागर दीखता हैं।" अर्चना जी की इस बात से सहमत किंतू अन्यथा ना ले रचना को समझने मे मुझे कठिनाई आ रही है.थोडा और स्पष्ट होती हो शायद...सादर बधाई
मोहतरमा नीता कसार साहिबा ,ममता के रंगों को बिखेरती बेहतर लघु कथा के लिए ... मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
//हज़ारों की तस्वीर के साथ कृतज्ञता के आँसू समेत माँ के हाथों में सौंप वह बोल उठा, मेरी माँ तो यही है इन्होंने मुझे जीवन दिया है।वह फूट फूट कर रो दिया ।
ममता तो अनमोल होती है भाई ।//, बहुत सुन्दर कथा प्रदत्त विषय को सार्थक करती हुई ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया
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