आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय पंकज जी सुंदर लघुकथा परन्तु तमाशबीन ? प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
वाह , जोशी जी . कहानी ने ऐसी पलटी मारी कि विभोर खुद तमाशबीन होने को बेबस हो गया.
तमाशा तो प्रोजेक्टर ने दिखाया,और तमाशबीन थे बोर्ड सदस्य , कहानी में प्रवाह है , थोडा और कस कर प्रदत्त विषय से जोड़ी जा सकती थी , हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय पंकज जोशी जी
सम्प्रेषण के दृष्टिकोण से अपनी ही रचना का संशोधित रूप देखें:
कंपनी बोर्ड की मीटिंग चल रही थी, जनरल मैनेजर विभोर मीटिंग का एजेंडा पढ़ रहा था । तभी एम डी साहब के मोबाईल पर वीडियो फ़्लैश हुआ और वे विभोर से बोले:
"अरे जी०एम्० साहब! कब तक यह एजेंडा सुनाकर इन लोंगो को बोर करेंगे। आइये हम सब थोडा मनोरंजन कर लें।"
"पर सर कंपनी के लिए एजेंडा इम्पोर्टेन्ट हैI" विभोर ने उन्हें टोकते हुए कहा ।
"लेकिन मिस्टर विभोर, जो मैं दिखाने जा रहा हूँ वह उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं I जिसे देखने के बाद शायद आपकी जिंदगी ही बदल जाए। पर उससे पहले मैं आप लोंगो से पहले कुछ पूछना चाहता हूँ कि यह कंपनी आप सबके लिए क्या मायने रखती है ?"
अचानक कमरे में सन्नाटा पसर गया ।
"अरे आप सब खामोश क्यों हैं? अच्छा तो विभोर जी आप ही बताइयेI"
विभोर अपनी सीट से उठा और आत्मविश्वाश से बोला:
"सर कंपनी हमारी माँ है । "
"क्यों और कैसे?" बॉस ने पूछा ।
"सर यह हमें रोजी-रोटी देती है।" कहते हुए वह अपनी सीट में वापस जा बैठा ।
"वेरी गुड! मुझे आपसे ऐसी उम्मीद थी।" एम डी साहब बोले ।
और अपने फोन को प्रोजेक्टर से अटैच कर वीडियो दिखाने को कहा ।
"चलिये आज हम सब अपनी रोज़ी रोटी से मिलते हैं ।"
प्रोजेक्टर ऑन हुआ, विडियो शुरू हुआ। उसमे विभोर एक सुन्दर महिला से बात रहा था:
“ये लो मैडम उस टेंडर की कॉपी जो हमारी कम्पनी ने भरा है I”
“वाह विभोर जी, आपने अपना वादा निभायाI ये लीजिए आपका इनामI” नोटों से भरा लिफाफा पकड़ाते हुए उसने कहाI
“ओह थैंक्यू डिअर...” कह कर उस लड़की की कमर में हाथ डालने लगा, जिसे लड़की ने बीच में ही रोक दियाI
“इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं विभोर जी, हम कहीं भागे थोड़े ही न जा रहे हैंI टेंडर की कॉपी के लिए पैसे आपको दे दिये गये है। अब इससे आगे बढ़ना चाहते हैं तो कंपनी के नए प्लांट का ब्लूप्रिंट दिखा दीजिये।“
वीडियो समाप्त हो गया। विभोर सिर से पाँव तक पसीने से भीगा हुआ था, उसके हाथ पाँव काँप रहे थे।
"सर! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गईI" कहते हुए जैसे ही वह उनके क़दमों पर गिरना चाहा .....
तभी बॉस की कड़कती हुई आवाज़ ने हाल में पसरे सन्नाटे को तोड़ दिया:
"हरामखोर! जिस कम्पनी को माँ बताता है, उसी के साथ बलात्कार? जिस थाली में खाता है उसी में छेद?" कहते हुए उसने इंटरकॉम का बटन प्रेस किया:
"सिक्योरिटी, मैडम को अन्दर भेजोI "
अगले पल एमडी ने वीडियो वाली लड़की का परिचय अपने मैनेजमेंट से करवाया:
“इनसे मिलो ये हैं हमारी नई जनरल मेनेजर मिस रोजिटाI”
आदरणीय योगराजभाईजी, आ. पंकजभाई की प्रस्तुति को जैसा स्वरूप आपने दिया है वह इस मंच पर तथाकथित पुरोधाओं और सम्मनितों के लिए और हम सब केलिए भी एक सीख है. इसे कहते हैं भावोद्गार की संप्रेषणीयता ! भाव, शब्द और व्याकरण से पूर्णतया समृद्ध !
शुभ-शुभ
जनाब पंकज जोशी साहिब , घर का भेदी लंका ढाए , कुछ लोग लालच में कुछ भी कर सकते हैं , सीख देती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |