आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
इस कविता पर इतना शानदार प्रयोग भी हो सकता है।ये तो अद्भुत हैं।नमन हैं आदरणीय पाण्डे सर जी आपको।सादर
हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार पांडे जी ! बेहतरीन प्रस्तुति !आपकी पहली प्रस्तुति पढ़ी, मजा आगया!
आदरणीय प्रदीप जी, आपने जैक एंड जिल के बहाने व्यवस्था पर जो तीखा प्रहार किया है, देखकर दंग हूँ. जिस सधी शैली में आपने कथ्य को शाब्दिक किया है. वह मुग्ध कर रहा है. शानदार लघुकथा की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
बहुत ही खूबसूरत लघुकथा लेखन हुआ है आपका आदरणीय प्रदीप जी ,सबसे अलग अपने रंग की निराली लघुकथा है ये आपकी . ह्रदय से बधाई प्रेषित है आपको .
विष
सुषमा जल्दी -जल्दी अपना काम निपटा रही थी कि एक और आवेदन सामने,उस पर नजर पड़ी तो अकचका उठी ।
" अरे आप ? सुधीर जी !"
" सुषमा ! " नज़र मिलते ही उदास आँखों में चमक-सी कौंध गई ।
" जी , आइये इधर बैठिये " सामने की कुर्सी की ओर इशारा किया।
" मुझे माफ कर देना , अपनी बेटी का रिश्ता करवाने के चक्कर में मैने तेरा रिश्ता तुड़वाने का पाप किया था "
" आपकी वजह से ही तो मै आज यहाँ हूँ , उस वक्त मेरी शादी हो गई होती तो आज यहाँ की कमिश्नर थोड़ी ना होती "
" तुम्हें देख कर मै हर्ष से पुलकित हूँ "
" मै भी आपकी ऋणी हूँ , आपके कारण मेरी जिंदगी बदल गई ।"
" इसमें कोई शक नहीं , तुम्हें ऋणी होना ही चाहिए । तेरे चरित्र पर जो लाँछन मैने लगाया था वो तुझे फलित हो गया , है ना ! हो हो हो हो ...."
समय की पिटारी का ढकना खुलते ही अजगर मुँह लपलपाने लगा । विषाक्त अनुभूतियाँ बदबदाती हुई बाहर आ चुकी थी ।
" ट्रिन ट्रिन ...." " जी ,मैम कहिये "चपरासी उपस्थित हुआ
" तुरंत इस कीटाणु को बाहर फेंक कर आओ "
" अरे , अरे सुषमा ये क्या कर रही हो ,मेरा काम तो करवा दो । "
" एक मिनट रूको , आsक थू ! ....जाओ ,अब फेंक आओ इसे "
मौलिक और अप्रकाशित
चोरी और सीनाजोरी भी, ऐसे में यही उपाय है इन कीटाणुओं का| प्रदत्त विषय पर बढ़िया रचना, बधाई आपको
ज़रा गौर से देखें, सम्प्रेषण कुछ बेहतर हुआ आ० कांता रॉय जी? रचना और भाषा की बात बाद में करूंगाI
सुषमा जल्दी-जल्दी अपना काम निपटा रही थी कि एक और आवेदन सामने, उस पर नजर पड़ी तो अकचका उठी।
"अरे आप सुधीर जी?"
"सुषमा!" नज़र मिलते ही उदास आँखों में चमक-सी कौंध गई ।
"जी, आइये इधर बैठियेI" सामने की कुर्सी की ओर इशारा किया।
"मुझे माफ कर देना, अपनी बेटी का रिश्ता करवाने के चक्कर में मैने तेरा रिश्ता तुड़वाने का पाप किया थाI"
"आपकी वजह से ही तो मै आज यहाँ हूँ, उस वक्त मेरी शादी हो गई होती तो आज यहाँ की कमिश्नर थोड़ी ना होतीI"
“तुम्हें देख कर मै हर्ष से पुलकित हूँI"
"मै भी आपकी ऋणी हूँ, आपके कारण मेरी जिंदगी बदल गई।"
"इसमें कोई शक नहीं, तुम्हें ऋणी होना ही चाहिए। तेरे चरित्र पर जो लाँछन मैने लगाया था वो तुझे फलित हो गया, है ना?! हो हो हो हो..."
समय की पिटारी का ढकना खुलते ही अजगर मुँह लपलपाने लगा । विषाक्त अनुभूतियाँ बदबदाती हुई बाहर आ चुकी थी।
“ट्रिन ट्रिन..",
"जी मैम, कहियेI" चपरासी उपस्थित हुआI
"तुरंत इस कीटाणु को बाहर फेंक कर आओI"
"अरे, अरे सुषमा ये क्या कर रही हो? मेरा काम तो करवा दो।"
"एक मिनट रूको, आsक थू !...जाओ, अब फेंक आओ इसेI"
बहुत बेहतरीन रचना आदरणीया कांता दीदी! बाकी सब तो वरिष्ठ सुधिजन कह चुके है| और कुछ कहने की गुंजाईश कहाँ रही ।बहुत बधाई आपको।सादर नमन
समय का पहिया घूमा और आया ऊंट पहाड़ के नीचे. जाने क्या षड्यंत्र रचा होगा जो सुषमा की शादी टूटी थी.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |