For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 160 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |

इस बार का मिसरा जनाब मुहम्मद अल्वी साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

'लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे'

फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
बह्र-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम महज़ूफ़


रदीफ़ :- भेज दे

क़ाफ़िया:-(ई का)
ज़िन्दगी,शाइरी, आदमी,नमी,वही आदि

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 27 अक्टूबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 अक्टूबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 27 अक्टूबर दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 4274

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम

आदाब अर्ज़ है जनाब। 

करीमाना इक रौशनी भेज दे 

इलाही मेरी रहबरी भेज दे  

मिटा दे अँधेरों को मेरे ख़ुदा 

मुझे नूर की इक कनी भेज दे

फ़रोज़ाँ किया मौला तूने जहाँ

मेरे घर में भी चाँदनी भेज दे

हो रहमत तेरी बनके बेटी अता

कि दामन में नन्ही परी भेज दे 

 

मैं दुश्वारियों में गिरफ़्तार हूँ 

रिहाई की मौला घड़ी भेज दे 

अँधेरों में ही बस घिरा हूँ 'अमीर' 

हिदायत की रब रौशनी भेज दे 

गिरह - 

मिटा दे जो लफ़्ज़ों की पेचीदगी 

'लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे'

"मौलिक व अप्रकाशित" 

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब

अच्छी ग़ज़ल है। बधाई स्वीकार करें।

करीमाना इक रौशनी भेज दे 

इलाही मेरी रहबरी भेज दे।।  

सुझाव - इलाही/किसी की मुझे रहबरी भेज दे 

हो रहमत तेरी बनके बेटी अता

कि दामन में नन्ही परी भेज दे 

उला का वाक्य बहुत स्पष्ट नहीं लग रहा।

दूसरा दोनों ही मिसरों में बेटी अता 

करने की बात कही जा रही है।

मेरे विचार से उला में बेटियों के गुण बताए जाए्ँ

और फिर सानी में अता करने की ख़्वाहिश जताई जाए।।

सुझाव

इज़ाफ़ा मिरी ख़ुशनसीबी में कर

कि दामन में  नन्ही परी  भेज  दे 

अँधेरों में ही बस घिरा हूँ 'अमीर' 

हिदायत की रब रौशनी भेज दे 

यहाँ उला में 'अमीर' जी को संबोधित किया जा रहा है

और सानी में ईश्वर से क्या अपेक्षा है बताई जा रही है 

उला में 'दुआ' शब्द के प्रयोग से बात और

ज़ियाद: साफ़ हो जाएगी।

सुझाव -

अँधेरे में हूँ बस दुआ है 'अमीर' 

हिदायत की रब रौशनी भेज दे 

// शुभकामनाएँ //

आदरणीय अमित जी, ख़ाकसार की ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और इस्लाह का तह-ए-दिल से शुक्रिया। 

करीमाना इक रौशनी भेज दे 

इलाही मेरी रहबरी भेज दे।।  

//सुझाव - इलाही/किसी की मुझे रहबरी भेज दे// 

मुहतरम, 'इलाही मेरी रहबरी भेज दे' ज़ियाद: मौज़ूँ मिसरा है। 

हो रहमत तेरी बनके बेटी अता

कि दामन में नन्ही परी भेज दे 

//उला का वाक्य बहुत स्पष्ट नहीं लग रहा।//

बिल्कुल स्पष्ट है - 'तेरी रहमत मुझे बेटी की शक्ल में मिले' 

//दूसरा दोनों ही मिसरों में बेटी अता करने की बात कही जा रही है।//

जी नहीं, सिर्फ़ बेटी नहीं.... सानी मिसरे में 'नन्ही परी' से मुराद परियों की तरह 'ख़ूबसूरत बेटी' से है। 

अँधेरों में ही बस घिरा हूँ 'अमीर' 

हिदायत की रब रौशनी भेज दे 

//यहाँ उला में 'अमीर' जी को संबोधित किया जा रहा है

और सानी में ईश्वर से क्या अपेक्षा है बताई जा रही है//

जनाब, ऊला में परेशानी के आलम में शाइर ख़ुद से ही बात कर रहा है और सानी में अपनी उस परेशानी को दूर करने के लिए ख़ुदा से दुआ़ कर रहा है, ये स्वभाविक है। 

//उला में 'दुआ' शब्द के प्रयोग से बात और

ज़ियाद: साफ़ हो जाएगी।

सुझाव -

अँधेरे में हूँ बस दुआ है 'अमीर' 

हिदायत की रब रौशनी भेज दे//

ये क्या ? आप तो अपने ही नज़रिए के ख़िलाफ़ बात करने लगे! 

ऊला में भी 'दुआ' और सानी में भी 'दुआ'?? 

अभी तो नसीहत कर रहे थे 

*दूसरा दोनों ही मिसरों में बेटी अता करने की बात कही जा रही है।*

हो सकता है तकनीकी रूप से आपका मिसरा बहतर हो, मगर मैं सिर्फ़ तकनीक के लिए अपने भाव और तख़ैय्युल को क़ुर्बान नहीं कर सकता हूँ।

'अँधेरे में होना' और 'अँधेरों में घिरा होने' में बहुत कुछ बदल रहा है, ग़ौर फ़रमाएं.... सादर।

जनाब अमीरुद्दीन साहब अच्छी ग़ज़ल हुई मुबारकबाद आपको, आदरणीय अमित जी के सुझाओ कथ्य पर आधारित एवं उत्तम लगे |

जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

अच्छी ग़ज़ल हुई है जनाब अमीरूद्दीन जी। भाई अमित जी कि सलाह उपयोगी है ।

आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।

आदरणीय अमीर जी नमस्कार

बहुत ख़ूब हुई ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजिये

अमित जी की टिप्पणी से काफ़ी कुछ समझने को मिला 

सादर

मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया... टिप्पणीयाँ ही हमें सिखाती हैं, यह निर्विवादित रूप से सच है। 

आ. अमीरुद्दीन साहब,
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं समस्त ओबीओ परिवार को। प्रयासरत हैं लेखन और सहभागिता हेतु।"
33 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

नवगीत : सूर्य के दस्तक लगाना // सौरभ

सूर्य के दस्तक लगाना देखना सोया हुआ है व्यक्त होने की जगह क्यों शब्द लुंठित जिस समय जग अर्थ ’नव’…See More
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-129 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
Monday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
Monday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
Sunday

© 2026   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service