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आदरणीया कांता राय जी कथा पर आपकी आत्मीय प्रसंशा से अभिभूत हूँ!लेखनी को सकारात्मक उर्जा प्रदान करने के लिए हार्दिक आभार!
आदरणीय कृष्णा भाई
अपने ही देश में अपनी पहचान के लिए भटकते कश्मीरी पंडितो की हालत सचमुच चिंताजनक है। स्वाभिमानी बाबा की बातों में दम है।
लघु कथा की हार्दिक बधाई।
आ० अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव सर आपकी सकारात्मक टिपण्णी से बहुत संतुष्ट हुआ!मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय! सादर
आदरणीय कृष्णा मिश्रा जी, नि:संदेह अच्छी कथा पर काम किया गया है किन्तु कथा कुछ और समय चाहती थी, आदरणीय योगराज जी बहुत ही बहुमूल्य बात अपनी टिप्पणी में कही है. बधाई इस सद्प्रयास पर.
जी आदरणीय ''बागी'' सर! सभी गुरुजनों की बातें को नोट कर लिया है आगे के प्रयासों में उनपर अवश्य ध्यान दूँगा!मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय!
अवसरवादी पहचान
वह अपनी फैक्ट्री लगाने के लिये पर्यावरण मंत्रालय से एन.ओ.सी. लेने आया था. रेलवे स्टेशन में उसने ने अपने माली के बेटे उमेश को देखा. जो बचपन में उसका सहपाठी था. उमेश ने सलवटों से भरा कुरता पायजमा और स्लीपर पहन रखा था. सूट-बूट पहने हुए उसने उमेश को देखकर भी अनदेखा कर दिया.
ट्रेन आने पर उसने देखा कि उमेश भी उसी की ए.सी. बोगी में चढ़ रहा है. उसे हैरानी हुई. उमेश की सीट बाजु के कम्पार्टमेंट में ही थीं. जहाँ उमेश और दुसरे सहयात्री के बीच वार्तालाप होने लगा था.
उसने सुना, सहयात्री कह रहा था, “मैं डॉक्टर हूँ और आप?”
उमेश ने कहा, “मैं पर्यावरण मंत्रालय में विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी हूँ.”
उसकी आँखों में बचपन की पहचान उमड़ आई.
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
प्रदत्त विषय पर सार्थक लघु कथा बहुत पसंद आई ....
उसकी आँखों में बचपन की पहचान उमड़ आई.--अंतिम पंच्च लाइन बहुत प्रभावशाली हुई है ,जिसको अभी तक माली के बेटे की हैसियत से ही देख रहा था वास्तविकता सामने आने पर बचपन की पहचान याद आ गई ...वाह
हार्दिक बधाई श्रद्धा जी
यह लघुकथा इस आयोजन की बेहतरीन रचनाओं में स्थान पायेगी प्रिय श्रद्धा जी। आपको इतनी सारगर्भित लघुकथा कहते देखना बहुत ही अच्छा लगा। बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें।
आदरणीया श्रद्धाजी, बहुत ही सुन्दर ढंग से आपने वर्ग भेद के बनते और उसे टूटते हुए दिखाया है. माली के बेटे को मिला ओएसडी का पद सारे पूर्वग्रह के तिरोहित हो जाने का जिस तरह से कारण बन जाता है, वह इस लघुकथा के वैशिष्ट्य को मुखरता से रुपायित कर रहा है.
हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया.
बहुत बढ़िया . अवसरवादी मीत ऐसा ही स्थान बनाते हैं .
वाह श्रद्धा मतलबी दुनिया को तुमने खूब उभारा ,वाह
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