आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक आभार आ. मनन जी. सादर धन्यवाद.
पुनः आभार आदरणीय. सादर.
आद० महेन्द्र कुमार जी , प्रतीकों के माध्यम से प्रदत्त विषय को सार्थक करती उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
बहुत-बहुत शुक्रिया मैम. हार्दिक आभार. सादर.
कथा का मर्म बहुत गूढ़ और प्रभावशाली है और प्रस्तुतीकरण भी सुन्दर है हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय महेंद्र जी. प्रदत्त विषय को को किस प्रकार परिभाषित कर रही है ये मै समझ नहीं पा रही हूँ क्यों कि माँ के सुबह के भूले बेटे तो आज तक घर नहीं लौटे
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