आदरणीय साथिओ,
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बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी. हार्दिक आभार. सादर.
बेहतरीन कथा। हार्दिक बधाई।
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.
शरणार्थियों की समस्याओं के कई पहलू हैं मानवीय ,राजनैतिक और सामजिक जिनपर अलग अलग खेमों में बहस चलती रहती हैI .निस्संदेह मानवीय पहलू सबसे सशक्त है जिस पर आपकी ये रचना केन्द्रित है. , रचना का प्रस्तुतीकरण और ताना बाना बहुत शानदार है जो आपकी रचना को प्रदत्त विषय अनुरूप एक सफल रचना बना रहा है . हार्दिक बधाई आदरणीय महेंद्र जी
बहुत-बहुत शुक्रिया आ. प्रतिभा मैम. हार्दिक आभार. सादर.
आदरणीय महेन्द्र कुमार जी आपकी रचना जबरदस्त भावों को समेटी है शीर्षक को सार्थक करती बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई
आभारी हूँ आ. छोटेलाल जी. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.
आदरणीय महेंद्र जी समसामयिक विषय पर उम्दा भावपूर्ण रचना कही..... आपने जिस दर्द को महसूस किया वो आपके हृदय की संवेदन शीलता को बयां करता है....एक सवाल मन मे उठ रहा है क्या इस रचना को और छोटा किया जा सकता था?
हार्दिक बधाई आदरणीय महेंद्र कुमार जी। बहुत मार्मिक और हृदय स्पर्शी लघुकथा।
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज वीर सिंह जी. हार्दिक आभार. सादर.
हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आ. नादिर जी. लघुकथा का आकार तो निश्चित तौर पर थोड़ा-बहुत छोटा किया जा सकता है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना पड़ेगा कि इससे इसके प्रभाव पर कोई नकारात्मक अन्तर न पड़े. यदि आपको ऐसा कोई विशेष बिन्दु नज़र आ रहा है जिसे छोटा किया जा सकता है तो अवश्य सूचित करें. मुझे ख़ुशी होगी. आपका हार्दिक आभार. सादर.
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