For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-34 (विषय: "इतिहास")

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
वर्ष 2018 की पहली "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. गोष्ठी के पिछले 33 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, यह वास्तव  में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-34
विषय: "इतिहास"
अवधि : 30-01-2018  से 31-01-2018 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9984

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रतिभा पांडे जी नए विषय के साथ सुंदर लघुकथा . बधाई आप को .

हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश  क्षत्रिय जी 

गजब की रचना कही है आदरणीया प्रतिभा जी, सादर बधाई स्वीकार करें इस सृजन हेतु|

कथा-पटकथा

अभिलेख कक्ष तरह-तरह के भारी भरकम बही-खातों से भरा पड़ा थाI कुछ सुनहरे अक्षरों से लिखे हुए, कुछ मानव रक्त से रंजित, कुछ धूल-मिट्टी से सने हुए तो कुछ बुरी तरह जीर्ण-शीर्णI भारत के इतिहास की हर एक घटना इनके पन्ने अपने अंदर समोए हुए थेI जो भी पन्ना खोला जाता, उस पर उकरे हुए शब्द किसी चलचित्र का रूप धारण कर जीवंत हो उठते और स्वत: पूरी कहानी सुनाने लगतेI वहाँ विचरण करते हुए सहसा भारत माता की दृष्टि, कक्ष के प्रतिबंधित क्षेत्र में फड़फड़ाते हुए एक पन्ने पर पड़ीI मोटी-मोटी बहियों के नीचे दबा हुआ एक पन्ना अत्यंत पीड़ा से कराह रहा था और बाहर आने के लिए छटपटा रहा थाI उसे सावधानी पूर्वक बाहर निकालते हुए भारत माता ने पूछा:
"तुम कौन हो, और तुम्हें यहाँ किसने दबाकर रखा है?"
"माते! मेरे ऊपर पडी हुई धूल साफ़ करके देखें, आपको सब पता चल जाएगाI"
भारत माता ने अपने आंचल से पोंछकर उसे जैसे ही धूल मुक्त किया तो उस पर लिखे अक्षर एक श्वेत-श्याम चलचित्र में परिवर्तित होने लगेI पूरा दृश्य प्रधान मंत्री कार्यालय पर केन्द्रित हो गयाI  
“प्रधान मंत्री सरदार पटेल जी! कबायलियों के भेस में घुस आये शत्रु सैनिकों का सफाया कर दिया गया हैI और आपके आदेशानुसार पाकिस्तान द्वारा हथियाए गए कश्मीर पर भी हमारा कब्ज़ा हो गयाI”
“बहुत खूब नेता जी! भारत के रक्षा मंत्री के रूप में आपका यह योगदान स्वर्ण-अक्षरों में लिखा जाएगाI”
“धन्यवाद प्रधान मंत्री महोदय! हमारी सेना अब अगले आदेश का इंतज़ार कर रही हैI”
“सुभाष बाबू! आदेश केवल यही है कि अब अगर उस तरफ से कोई भी शरारत हो, तो हमारा अगला लक्ष्य लाहौर पर तिरंगा फहराना होगाI”
“यह क्या है? यह सब तो कभी हुआ ही नहींI” फटी आँखों से उस पन्ने की तरफ देखते हुए भारत माता ने कहाI
“माते! इतिहास में तो यही लिखा जाना था, लेकिन......”
“लेकिन क्या?” भारत माता ने आश्चर्यचकित स्वर में पूछाI
किन्तु उस पन्ने के होंटों पर अचानक हजारों ताले लग गएI भारत माता के माथे पर पसीने की बूँदें उभर आईं. तभी मौन की चादर को चीरते हुए दीवार पर टंगे हुए देश के मानचित्र ने उदास स्वर में कहा:
“देश के योग्य सपूतों को हाशिए पर धकेल दिया गया था माते! और सिंहासन पर विराजमान अंधों ने भावी इतिहास की पूरी पटकथा ही बदल दी थीI यह सब उसी का परिणाम हैI”
यह सुनते ही भारत माता के शरीर के कई घाव फिर से हरे होने लगे और पूरा कक्ष सिसकियों से भरने लगाI
.
(मौलिक और अप्रकाशित)

बहुत बेहतरीन कथ्य ।इतिहास क्या है?और वास्तव में क्या होना चाहिए था !उसकी पर्तें खोलती शानदार लघुकथा ।

हार्दिक बधाई आदरणीय योगराज प्रभाकर भाई जी।लाज़वाब लघुकथा।मुझे समझ नहीं आ रहा कि इतनी बेहतरीन और सार गर्भित लघुकथा की समीक्षा करना मेरे बस की बात है भी कि नहीं।आपकी सोच और लेखनी दोनों को सलाम।क्या शान्दार चित्रण किया है इतिहास का।पुनः हार्दिक बधाई।

बहुत बहुत शुक्रिया आ० तेजवीर सिंह जी. 

हार्दिक आभार आ० डॉ संगीता गाँधी जी. 

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी आदाब,

                               अद्भुत कथानक , तीव्र कटाक्ष और सशक्त संवादों से सुसज्जित विषय का प्रवर्तन करती लघुकथा । हार्दिक बधाई.स्वीकार करें ।

दिल से शुक्रिया आ० मोहम्मद आरिफ़ साहिब.

“देश के योग्य सपूतों को हाशिए पर धकेल दिया गया था माते! और सिंहासन पर विराजमान अंधों ने भावी इतिहास की पूरी पटकथा ही बदल दी थीI  यह सब उसी का परिणाम हैI” कोई शब्द नहीं मिलते है, हर शब्द छोटा पड़ जाता है आपकी लघुकथा को पढ़कर,सादर वंदन आदरणीय सर, हर बार की तरह बेमिसाल लघुकथा|

हार्दिक आभार आ० कल्पना भट्ट जी. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service