आदरणीय साथिओ,
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हृदय से आभारी हूँ मैम। बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर।
गुब्बारे में सुई
‘’पूरी तैयारी है सर जी I चिंता मत करिए सब संभाल लूँगा I बस आप भी इस बार इस सेवक का ध्यान रखना I प्रणाम I’’ फोन बंद करते हुए जगदीश भैया के चेहरे पर चमक थी I
‘’आपके नेतृत्व में आज का ये मामला अच्छे से गर्म हो ले बस I फिर तो देख लेना भैया जी,कोई नहीं रोक सकता आपका टिकट इस बार I’’ एक चमचा टाइप कार्यकर्ता पीछे खड़ा खींसें निपोर रहा था I उसको नज़रंदाज़ कर भैया जी ने आँखों पर काला चश्मा चढ़ा लियाI
धरने की तैयारी पूरी थी I बस इंतज़ार था उस कार्यकर्ता का जो पीड़ित परिवार के कुछ लोगों को लेकर आने वाला था I
‘’कितनी देर कर दी राघव ! और बाकी लोग कहाँ हैं ?’’कार्यकर्ता को अकेले आया देख भैया जी बेसब्र हो गए I
‘’भैया जी गल्ती हो गई I जैसा आप सब सोच रहे हैं वैसा कुछ नहीं है I’’राघव अटक अटक कर बोल रहा था I
“मतलब ?’’
“ मतलब वो किसान नहीं था I छोटी सी परचून की दुकान चलाता था और .. I’’
‘’ और क्या ?’’ भैया जी का चेहरा लाल होने लगा था I
‘’जात भी ठीक थी I उसके दादा जी कभी मंदिर के पुजारी हुआ करते थे I’’ राघव ने हकलाते हुए थूक गटकाI
“और आत्महत्या ?’’ भैया जी हाँफते हुए कुर्सी पर बैठ गयेI
“नहीं कुछ नहीं I बीमारी से मरा है I पर भैया जी एक बात पक्की है I’’ राघव डरता डरता उनके पैरों के पास बैठ गया I
‘’अब क्या पक्का बचा है ? सब कुछ तो तहस नहस हो गया I’’ भैया जी दांत पीसने लगे I
“ बहुत गरीब था वो I घर में खाने के लाले थे I दवाई कहाँ से आती I क्रिया कर्म के लिए भी आस पास वाले चंदा कर रहे थे I”
राघव की भर आई आँखों को घूर कर देखते हुए भैया जी झटके से खड़े हुए और राघव का गरेबान पकड़ लिया I
‘’बहुत गरीब था के बच्चे I हमारे किस काम की उसकी गरीबी ! चाटें क्या उसकी गरीबी को ! बोल ..बोल I’’ राघव को झंकझोरते हुए भैया जी चीख रहे थे I आँखों में थोड़ी देर पहले देखे सपनों के टूटने का गुस्सा लाल डोरे बना रहा था I
मौलिक व् अप्रकाशित
मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर जी I आपको पुनः स्वस्थ होकर हमारे बीच सक्रीय होता देख मन बहुत प्रसन्न है I
आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आदाब,
विषय के अनुकूल कथा कहने का अच्छा प्रयास । भले ही संवादपरक कथा है मगर इसे और बेहतर बनाया जा सकता था । कुछ हड़बड़ाहट-सी नज़र आ रही है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
आपकी रचना पर उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी I हड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं है I
वाह वाह! क्या सुंदर और विषयानुकूल लघुकथा रची है आ० प्रतिभा पाण्डेय जी. प्रदत्त विषय को कुशला से सार्थक करती हुई इस लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी
बहुत बढ़िया रचना लिखी है आपने प्रदत्त विषय पर, काफी कुछ हक़ीक़त के करीब. बहुत बहुत बधाई आ प्रतिभा पांडेजी
हार्दिक आभार आदरणीय विनय कुमार जी
हक़ीक़त में दिये गये विषय पर आधारित बेहतरीन व्यंगात्मक व कटाक्षपूर्ण रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी। लेकिन सवाल यही है कि रचना से क्या-क्या हासिल? क्या सकारात्मक संदेश? सादर विचारार्थ । मार्गदर्शन निवेदित।
लेकिन सवाल यही है कि रचना से क्या-क्या हासिल? क्या सकारात्मक संदेश// सीधे सीधे कोई सकारात्मक सन्देश नहीं I हमारे देश की selective politics जो पिछले कुछ सालों से ज्यादा ही चलन में हो रही है , के ऊपर एक कटाक्ष का प्रयास है I आप ने रचना पर आकर अपने विचार साझा किये , आपका हर्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी
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