आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
बहुत बढ़िया रचना विषय पर, हालाँकि कल्पना कुछ ज्यादा ही हो गई. बहरहाल बधाई इस रचना के लिए आ सीमा सिंह जी
आज के पुरुष वर्ग से अच्छे व्यवहार की आकांक्षा वास्तव में कुछ ज्यादा कल्पना करना ही है आ० विनय सर!
मुहतर्मा सीमा साहिबा ,प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।
आभार आ० तस्दीक़ साहब!
समसामयिक परिस्थितियों को बहुत अच्छे से बुना आपने आ.सीमा जी।हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये मेरी ऒर से।
शुक्रिया सखी!
बॉस तो सच में खडूस निकला ... सुन्दर सहज रूपसे प्रदत्त विषय को सार्थक करती रचना हार्दिक बधाई आदरणीया सीमा जी
शुक्रिया दीदी।
प्रदत्त विषय से न्याय करती बढ़िया लघुकथा है आदरणीया सीमा जी. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. वैसे कथा के आकार को थोड़ा छोटा किया जा सकता है. सादर.
आभार आ० महेंद्र कुमार जी, सुधार की गुंजाईश तो हमेशा ही रहती है कथा में।
हार्दिक बधाई आदरणीय सीमा सिंह जी।बेहतरीन लघुकथा।नौकरी पेशा लोगों को ऐसे ख्वाब अकसर आते रहते हैं।
आभार आ० तेजवीर जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |