For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा- अंक 36(Now Closed With 965 Replies)

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 36 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. इस बार का तरही मिसरा,हिन्दुस्तान को अपना दूसरा घर कहने वाले मरहूम पाकिस्तानी शायर अहमद फ़राज़ की बहुत ही मकबूल गज़ल से लिया गया है.

पेश है मिसरा-ए-तरह...

"अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं"

अ/१/भी/२/कु/१/छौ/२/र/१/क/१/रिश/२/में/२/ग/१/ज़ल/२/के/१/दे/२/ख/१/ते/१/हैं/२

१२१२    ११२२    १२१२    ११२

 मुफाइलुन फइलातुन  मुफाइलुन फइलुन

(बह्र: मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर )

* जहां लाल रंग है तकतीई के समय वहां मात्रा गिराई गई है 
** इस बह्र में अंतिम रुक्न को ११२ की बजाय २२ करने की छूट जायज़ है 
रदीफ़ :- के देखते हैं  
काफिया :-  अल (ग़ज़ल, महल, संभल, टहल, निकल, चल, ढल, उबल आदि)
 

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 जून दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 30 जून दिन रविवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिएँ.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये  जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो   28 जून दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

 

Views: 19242

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सुना  है दिन में उन्हें बिजलियाँ डराती  हैं  

सियाह रात  में  जुगनू संभल के देखते हैं.................वाह! बहुत सुन्दर शेर हुआ है आदरणीय  

रुबाइयों ने बड़ी वाहवाहियां लूटी 

अभी कुछ और करिश्मे ग़जल के देखते हैं ................गिरह भी बेमिसाल है 

बहुत बहुत बधाई आदरणीया राजेश जी 

प्रिय प्राची जी ग़ज़ल पर आपकी सराहना मिली दिल से आभार आपका 

मुसीबतों से हमें  हारना नहीं आता 

तपी जमीन पे हम आज चल के देखते हैं

ग़ज़ब !! .. क्या शेर हुआ है. !!!

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया.. .

आदरणीय सौरभ जी इस होंसला अफजाई के लिए तहे  दिल से शुक्रिया इस बार तो लाईट ने परेशांन  कर दिया कल इतने जोर के तूफ़ान के साथ देहरादून में बारिश हुई की जहां तहां सैकड़ों पेड़ धराशाई हो गए कल से बिजली अभी आई है |

आदरणीय एडमिन जी सादर निवेदन है मेरे पांचवे शेर को इस तरह संशोधित कर दीजिये ---

हमे अजीज खुदाया  फ़कीर की बेटी 

मिज़ाज और हुनर तो  कमल के देखते हैं.

यथा संशोधित

//सुना  है दिन में उन्हें बिजलियाँ डराती  हैं  

सियाह रात  में  जुगनू संभल के देखते हैं //

आय हाय हाय, दूध का जला छाछ फूक पीता है, क्या कहन है बेजोड़, 

//हमे अजीज बड़ी वो फ़कीर की बेटी 

मिज़ाज और सु  नक़्शे कमल के देखते हैं //

मिसरा सानी स्पष्ट नहीं हो रहा है , बाकी सभी अशआर अच्छे लगें , बहुत बहुत बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी . 

आदरणीय गुरुजनों ये सिर्फ कहन की कोशिश है मुझे वजन में बराबर बैठाना  नहीं आता ......
आप सब की इस्लाह मुझे सीखने  में मदद करेगी ....

चलो आज गम के सांचे में ढल के देखते हैं
जलती शमा में परवाने सा जल के देखते हैं

हौसला हो तो दूर नहीं होती मंजिल कभी
चलो कुछ और कदम भी चल के देखते हैं

क्या पता वो कभी थाम ले हाथ मेरा
इस वास्ते हम साथ चलके देखते हैं

ये कौन ले आया अँधेरे में रौशनी का दिया
तारे भी आज मचल - मचल के देखते हैं

दर्द भी है ,दवा भी और इक तड़प भी
अभी कुछ करिश्में गज़ल के देखते हैं

कहते हैं मुहब्बत इक आग का दरिया है
हीर चलो इस आग में जल के देखते हैं

हरकीरत हीर .....

आ0 हीर जी,  अच्छा प्रयास।  शुभकामनाएं।  सादर,

Waah Harkirat Ji........... ye sher khaskar pasand aayaa........... Wajan wagairah to guni jan jaane....... hm to kahan me hi Anand lete hai............ waah..

ये कौन ले आया अँधेरे में रौशनी का दिया 
तारे भी आज मचल - मचल के देखते हैं 

shukriyaa Harjeet ji ...

बहुत से अशआर बह्र का हाथ छुड़ा कर भाग रहे हैं मोहतरमा हीर साहिबा, ज़रा ख्याल करें वर्ना झंग स्याल तक का सफ़र तय कैसे होगा ?  

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
Thursday
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service