आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरनीया प्रतिभा जी,मेरी लघुकथा को पसंद करने के लिए बहुत शुक्रिया जी
प्रतीकों द्वारा मन की बचैनी बताना,बेहतरीन रचना,बधाई मोहन सरजी।
कभी कभी काम की अधिकता से ऐसा हो सकता है, बढ़िया रचना विषय पर. बहुत बहुत बधाई आ मोहन बेगोवाल जी
आदरणीय मोहन बेगोवाल जी , आजकल के जीवन का एक ( आकस्मिक ) पहलु , बहुत ही सुन्दर प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त। बधाई , इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए , सादर।
मायाजाल
(विषय - आजकल)
"आशी आई लव यू। ये कितना अजीब इत्तिफ़ाक़ है कि इतने दूर, देशों में रहते हुए भी हमारे विचार, हमारी सोच, हमारी पसंद - नापसन्द सब एक जैसी है।" सेनेगल में रहने वाली वाली लॉरा ने कुछ दिन मैसेंजर पर बात करने के बाद टूटी - फूटी इंग्लिश में मैसेज किया।
"ऑफ कोर्स ,लॉरा। मैं भी कुछ इसी तरह महसूस करता हूँ। जब तक तुम से बात नहीं होती, कुछ भारी - भारी सा लगता है। तुमसे बात करके बिल्कुल फ्री सा फील होता है। हम एक दूसरे से बहुत अटैच होते जा रहे हैं। लेकिन कहाँ इंडिया और कहाँ तुम्हारा देश? शायद ही हम कभी मिल सकें।"
"नथिंग इज़ इम्पॉसिबल, आशी।" मेरे ज़िन्दगी मैं एक बहुत बड़ा राज़ है। मैं कभी फुर्सत से बताऊँगी।
"फुर्सत से क्यों अभी बताओ न लॉरा?" आशीष की बैचेनी बढ़ गई थी। ऐसी क्या राज़ है, लॉरा की ज़िन्दगी में? प्रोफाइल पिक्चर से तो एक दम बिंदास दिखती है। हाई प्रोफाइल भी लगती है। फिर ऐसी क्या परेशानी है उसे? एक साथ कई सवालों ने आशीष को घेर लिया।
आशीष ने बहुत किस्से सुने थे, विदेशी बालाओं की देशी नवयुवकों से सोशल मीडिया पर दोस्ती के। कितना गर्व होता था। जब किसी न्यूज़ पेपर में पढ़कर पता चलता था। "एक जापानी युवती, ठेठ हरियाणवी युवक से दोस्ती का वादा पूरा करने के लिए भारत आई। और उसने, उस गांव के युवक से शादी भी कर ली।"
"क्या लॉरा भी कभी इंडिया आ सकती है?"उसने अपने आप से सवाल किया।
साथ "ही नथिंग इम्पॉसिबल" वाला जवाब, लॉरा ने शायद यही सोच कर दिया हो। दिल ही दिल तसल्ली कर ली।
आज तो लॉरा ने कसम भी दिलाई कि "उसकी ज़िन्दगी में जो राज़ छिपा है। उसे वह अपने तक ही सीमित रखे। किसी को नहीं बताए नहीं।"
आशीष ने खुशी - खुशी हामी भी भर दी। वह तो रात - दिन, सोते - जागते लॉरा से मिलन के सपने सँजोए बैठा था। उसे तो हर वो शर्त मंज़ूर थी जो उसके मिलन के रास्ते की रुकावट दूर करती हो। अब तो बस उसे बैचेनी इन्तिज़ार था उस राज़ का।
लॉरा ने मैसेज में लिखा, "डिअर आशी, बदकिस्मती से मेरे मम्मी - पापा गृहयुद्ध में मारे गए। वो तो शुक्र करो, मैं हॉस्टल में थी इसलिए मेरी जान बच गई। मेरे पापा इस शहर के बहुत अमीर आदमी थे। उनके नाम अपार सम्पत्ति है। मैं तुम से इंडिया आकर मिलने के लिए बैचेन हूँ। लेकिन मैं इंडिया आने से पहले चाहती हूँ, कि ये अपार संपत्ति मेरी हो जाए। मेरे देश के नियमों के अनुशार, यह तभी संभव है, "जब कोई विदेशी अपना परिचय सहित, बैंक डिटेल्स मुझे भेज दे। और मेरी ज़मानत ले ले। अगर तुम ऐसा कर दोगे तो ये सारी संपत्ति हमारी हो जाएगी। हम इसे बेचकर हमेशा - हमेशा के लिए इंडिया में सुख चैन के साथ रहेंगे।"
आशीष भी उसकी मजबूरी सुनकर पिघल गया। अब तो आशीष को जंग और प्यार में सब कुछ जायज़ जैसा लगने लगा था। उसे तो अपना सपना साकार होते दिखाई दे रहा था। वह अपनी डिटेल्स भेजने को तैयार भी हो गया। लेकिन तभी उसका दोस्त सुनील उसे मिला। आशीष ने सुनील के सामने बातों ही बातों में अपना दिल खोल कर रख दिया। लेकिन सुनील को बैंक डिटेल्स वाली बात गले नहीं उतरी। उसे कुछ दाल में काला दिखाई दिया।
"आजकल दुनिया में फैले इस मायाजाल को बहुत अच्छी तरह जनता था।"
उसने आशीष को इस बात के लिए राज़ी कर लिया कि तुम थोड़ा टेस्ट तो कर लो।
लेकिन सुनील, मैं टेस्ट कैसे करूँगा?
बहुत आसान है आशीष, तुम उसे मैसेज में लिखो - "सॉरी मेडम, वी आर इन द सेम प्रोफेशन।"
फिर देखो क्या जवाब आता है।
"आशीष आज तक उसके जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है।"
यदि सुनील समय रहते नहीं आया होता तो, आशीष किसी विदेशी को अपने बैंक डिटेल्स देकर किसी षड्यंत्र का शिकार हो चुका होता।
( मौलिक व अप्रकाशित)
आदाब। सबक़ और हिदायत देती बहुत बढ़िया रचना हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मुज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्दीक़ी साहिब।
बहुत बहुत शुक्रिया , जनाब।
प्रदत्त विषय पर सच्ची संदेशपरक लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय मुज़फ्फर इक़बाल सिद्दीक़ी जी।
बहुत बहुत धन्यवाद , आपका।
आज की दुनिया का ऐसा मायाजाल जो झाँसे में कंगाल हो गया ।युवा पीढ़ी को सावधान कराती कथा के लिये बधाई आद० मुज़फ़्फ़र इक़बाल सिद्दीक़ी जी ।
सादर आभार , आदरणीय
ऑनलाइन होने वाले फ्रॉड पर अच्छी लघुकथा कही है आपने आदरणीय मुज़फ्फर इक़बाल सिद्दीकी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. दो बिन्दुओं पर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा :
1. आपकी कथा में 600 से ज़्यादा शब्द हैं. संपादन के द्वारा इन्हें कम करने की आवश्यकता है.
2. आपकी लघुकथा में कालखण्ड दोष भी है. आप चाहें तो फ़्लैशबैक तकनीक का प्रयोग कर के इसे दूर कर सकते हैं.
सादर.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |