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रचना पसंद करने के लिये हृदय से आभारी हूँ आदरणीय राजेश कुमारी जी ! आपके शब्दों ने मेरे मनोबल को बढ़ाया है|
वाह वाह!!! क्या खूब । सुन्दर लघुकथा आ. चंद्रेश कुमार जी । बधाई बहुत बहुत।
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज शर्मा जी !
क्या कहने हैं भाई चंद्रेश जी, वाह वाह वाह !! खलील ज़िब्रान आज साक्षात ओबीओ पर नमूदार हुआ है आपकी लेखनी के ज़रिये। इस संदेशपरक और अर्थगर्भित अभिव्यक्ति हेतु दिल से मुबारकबाद दे रहा हूँ, स्वीकार करें।
आदरणीय गुरूजी चरण स्पर्श, आपके आशीर्वाद का हमेशा ही अभिलाषी हूँ| मेरे लिए लघुकथा के भगवान प्रारंभ से ही आप है और इस जीवन में यह स्थान कोई अन्य नहीं ले सकता है| सादर नमन सर|
रचना पसंद करने एवं मनोबल उच्च करने हेतु हृदय से आभारी हूँ आदरणीय नीता जी !
आदरनीय चंद्रेश कुमार जी...... क्या खूबसूरती से आपने कितना शानदार सन्देश कथा के माध्यम से दिया है ! दिल से मुबारक बाद आपको आदरणीय !
रचना पसंद करने एवं सकारात्मक/सुंदर टिप्पणी हेतु हृदय से आभारी हूँ आदरणीय सचिन देव जी|
आदरणीय चंद्रेश जी, हार्दिक बधाई!लघुकथा बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है!सुख और धन के लिए क्या बेईमान होना आवश्यक है!
लघुकथा का यह प्रयास आपको उचित लगा, इस हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ आदरणीय तेजवीर सिंह जी सर|
आदरणीय चंद्रेश जी, लघुकथा सकारात्मक उद्वेलन से यथार्थ का विवेचन कर परोक्ष मार्गदर्शन करती है. विसंगति को इंगित करने का उद्देश्य बिना उपदेश दिए पाठक के अंतर्मन में विसंगति से मुक्त होने का मनोभाव उत्पन्न करना होता है । जिस प्रकार आपने अपनी लघुकथा के माध्यम से 'बुनियाद' विषय को परिभाषित करने का सदप्रयास किया है वह अद्भुत है। कथा की कसावट तो देखते ही बनती है। आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं इस सार्थक प्रयास हेतु ।
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