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समाज एक सच ऐसा भी ... बहू की निष्ठुरता की पराकाष्ठा... बेहतरीन प्रस्तुति!
हद हो गयी निष्ठुरता की ... शान्ति ने शान्ति धारण कर झगड़े की बुनियाद ही मिटा दी | बहुत सुंदर कथा आ. अर्चना त्रिपाठी जी
बहुत ही मार्मिक रचना हुई बहु जब इतनी असंवेदन शील है तो सही कहा सास ने बुनियाद में घुन तो लग ही चुका है
दिल से बधाई लीजिये प्रस्तुति पर अर्चना जी.
बहुत सुन्दर भावपूर्ण लघुकथा। अकसर परिवारों में ऐसी ज़िद देखने को मिल जाती है। बधाई सुन्दर रचना के लिए आ.अर्चना त्रिपाठी जी।
बेहद कम शब्दों मैं गहन बात करती आपकी इस लघुकथा पर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी !
हक़ीक़त के बेहद आस पास है ये लघुकथा। अक्सर ऐसा देखने सुनने में आ ही जाता है, इस सुन्दर लघुकथा हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारें आ० अर्चना त्रिपाठी जी।
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