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आदरणीया अर्चना जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. हार्दिक बधाई. रचना पर पुनः उपस्थित होता हूँ. सादर
आदरणीया अर्चना जी, एक पवित्र रिश्ते पर जब वासना की काली छाया पड़ती है तो कई कई परिभाषाएं बदलती नज़र आती है और समाज में एक सड़ांध पैदा होती जाती है. इस शोषण को जिस कसावट और सधी हुई शैली में आपने प्रस्तुत किया है वह अद्भुत है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई
गज़ब की परिभाषा कही आदरणीया जी आपने स्नेहिल रिश्तों में वासना के कीड़े वातावरण को गन्दा कर जाते हैं । सटीक तुलनात्मक शैली में धाराप्रवाह कथा कही । हार्दिक अभिनन्दन , सादर
वाह आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी बहुत ही खूबसूरती को प्रदत्त विषय को सार्थक किया है आपने अपनी लघुकथा में । 'कथित' मार्गदर्शन के नाम पर हो रहे 'शोषण' को जिस स्टीकता व कसावट से उभारा है वह प्रशंसनीय है । सादर शुभकामनाएं
बहुत ही बढ़िया विषय लेकर लघुकथा कही है आ० अर्चना त्रिपाठी जी I हार्दिक बधाई स्वीकार करें I
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