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आ. भाई सतविन्द्र जी, उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद ।
आदरणीय धामी साहब आपकी रचना बहुत बेहतरीन है इसके लिए बहुत बहुत बधाई
आ. भाई छोटे लाल जी, हार्दिक आभार ।
आ0 लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय पर पूर्ण न्याय करती ग़ज़ल।
मक़्ते को यूँ कर सकते हैं-"नेमतें बस हो खुदा की"
आ. भाई बासुदेव जी, प्रशंसा और सुझाव के लिए आभार ।
बहुत खूब, प्रदत्त विषय के हर पहलू को छूती शानदार गजल हार्दिक बधाई आदरणीय लक्षमण धामी जी
आ. प्रतिभा बहन, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
उत्तम रचना के माध्यम से सही कहा है आदरणीय लक्ष्मण जी , अब खेत और खलिहान को देख कर मिलने वाली प्रसन्नता दूभर हो चुकी है। प्रत्येक पद सुन्दर।
आ. भाई सुकुल जी, हार्दिक धन्यवाद ।
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रदत्त विषय पर बेहतरीन गजल हुई है ।बहुत बहुत हार्दिक बधाई।
जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब, ग़ज़ल पर आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
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