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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-53 (विषय अधिकार)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-53 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:  
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-53
विषय: अधिकार
अवधि : 30-08-2019  से 31-08-2019 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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आदरणीय बरखा जी इस सोच के लिए मैं आपको हजार सलाम भेजता हूं निश्चित रूप से हमें अपने बेटों को इस लायक बनाना चाहिए कि किसी भी लड़की को उसका जीवन साथी बनने में फख्र महसूस हो बहुत-बहुत बधाई

विषय को तार्किक रूप देकर अधिकार को समझाने का सफल प्रयास , बधाई , आदरणीय सुश्री बरखा शुक्ला जी , सादर।

बढ़िया रचना विषय पर, खुद को पहले सुधारना जरुरी है. बहुत बहुत बधाई इस सुंदर रचना के लिए आ बरखा शुक्ला जी

हार्दिक बधाई आदरणीय बरखा शुक्ला जी। विषयांतर्गत बेहतरीन लघुकथा। अनुशासन के बिना चरित्र निर्माण असंभव होता है।

पूर्वाग्रही सोच पर अंकुश लगा,समाज को नया संदेश देती बेहतरीन रचना के लिए आदरणीया बरखा दी,बधाई। 

आदाब। विषय को परिभाषित करती उसके एक रुप को उभारती बढ़िया सहज रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया बरखा शुक्ला जी। लड़के के माँ-बाप के हक़ के साथ ही होने वाली बहू के या  उसके माता-पिता के हक़ को भी एक छोटे संवाद से उभारा जा सकता था मेरे विचार से।

बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया वरखा दी।

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