आदरणीय साथिओ,
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आदरणीय बरखा जी इस सोच के लिए मैं आपको हजार सलाम भेजता हूं निश्चित रूप से हमें अपने बेटों को इस लायक बनाना चाहिए कि किसी भी लड़की को उसका जीवन साथी बनने में फख्र महसूस हो बहुत-बहुत बधाई
विषय को तार्किक रूप देकर अधिकार को समझाने का सफल प्रयास , बधाई , आदरणीय सुश्री बरखा शुक्ला जी , सादर।
बढ़िया रचना विषय पर, खुद को पहले सुधारना जरुरी है. बहुत बहुत बधाई इस सुंदर रचना के लिए आ बरखा शुक्ला जी
हार्दिक बधाई आदरणीय बरखा शुक्ला जी। विषयांतर्गत बेहतरीन लघुकथा। अनुशासन के बिना चरित्र निर्माण असंभव होता है।
पूर्वाग्रही सोच पर अंकुश लगा,समाज को नया संदेश देती बेहतरीन रचना के लिए आदरणीया बरखा दी,बधाई।
आदाब। विषय को परिभाषित करती उसके एक रुप को उभारती बढ़िया सहज रचना। हार्दिक बधाई आदरणीया बरखा शुक्ला जी। लड़के के माँ-बाप के हक़ के साथ ही होने वाली बहू के या उसके माता-पिता के हक़ को भी एक छोटे संवाद से उभारा जा सकता था मेरे विचार से।
बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीया वरखा दी।
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