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हार्दिक बधाई आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी। बेहतरीन लघुकथा।आज के इस छल कपट से भरे माहौल में महिलाओं में कुछ इसी प्रकार की जागरूकता की आवश्यकता है।कदम कदम पर भेड़िये ताक लगाये बैठे हैं। उनके झूठ और सच को परखने की अंदरूनी समझ और शक्ति की बेहद गंभीरता से जरूरत है।लाजवाब संदेश।
कथा पर अमूल्य समय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद आ. Tejveer singh जी
सही कहा आपने ,ये रिश्ते जिस पर आधारित हैं अब वो बिखर रहा हैं।रिश्तों की गरिमा भूल हम दैहिक आकर्षण में फंसते जा रहे हैं।कथा पर अमूल्य समय देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आ.Mohan Begowal जी
आ. अर्चना बहन, अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।
आ.लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, आपका हार्दिक धन्यवाद
आदाब। विषयांतर्गत साहसिक सूझबूझ और प्रत्युत्पन्नमति के साथ सबक़ देती बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी।
कथा को अमूल्य समय देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आ. Sheikh Sahjad Usmani जी
संदेश परक लघुकथा के लिए बधाई लीजिए आदरणीया अर्चना जी।
कथा पर अमूल्य समय देने के लिए आ. Manan Kumar Singh जी आपका हार्दिक आभार
आदरणीया अर्चना त्रिपाठी जी, समाज को एक सीख देती हुई एक अच्छी लघुकथा हुई है, रिश्ते जब मर्यादा के ओढ़नी में पलते हैं तो ही स्वयं और समाज के लिए उचित प्रतीत होते हैं, बहुत बहुत बधाई आपको।
कथा पर अमूल्य समय देने के लिए आ. Er Ganesh Jee Bagi जी हार्दिक आभार
आदरणीया अर्चना जी, अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।
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